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बिस्वास अध्यक्ष राजकुमार और डीएस त्रिपाठी ने की अपील
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स्कूलों और कार्यालयों में अवकाश का आग्रह
भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में बिस्वास संस्था के अध्यक्ष राजकुमार और संस्थापक अध्यक्ष तथा सलाहकार डीएस त्रिपाठी ने छठ पूजा पर दो दिन की सार्वजनिक छुट्टी घोषित करने की मांग की है। संस्था का कहना है कि छठ पूजा के दौरान श्रद्धालुओं को अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करने और बच्चों को संस्कारों से जोड़ने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। इसके लिए स्कूलों, सरकारी और निजी कार्यालयों में अवकाश की आवश्यकता है।
सात दिनों तक न हो परीक्षा
त्रिपाठी ने कहा कि दो दिनों की छुट्टी के साथ-साथ यह भी ध्यान दिया जाये कि सात दिनों किसी प्रकार की कोई परीक्षा न आयोजित की जाये। यह महापर्व चार दिनों का होता है। ऐसी स्थिति में इन चार दिनों के आगे और पीछे कोई परीक्षा न आयोजित की जाये।
बच्चों को जोड़ने की पहल
बिस्वास संस्था के पदाधिकारियों का मानना है कि वर्तमान समय में बच्चे पारंपरिक धर्म और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। राजकुमार ने बताया कि स्कूल और कार्यालय में छुट्टी न होने की वजह से बच्चों को पर्व-त्योहारों से जुड़े संस्कारों का अनुभव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि इस तरह की छुट्टियों से बच्चों को परिवार के साथ त्योहार मनाने का अवसर मिलेगा, जिससे वे हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समझ सकेंगे और उसका आदर करना सीखेंगे।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर
डीएस त्रिपाठी ने कहा कि छठ पूजा का विशेष धार्मिक महत्व है, जो न केवल यूपी, बिहार और झारखंड के लोग, बल्कि पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में सूर्य देव की उपासना की जाती है और यह पर्व आस्था, अनुशासन और प्रकृति से जुड़े रहने का संदेश देता है। त्रिपाठी ने बताया कि छठ पूजा के दौरान उपवास और सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा का पालन किया जाता है, जिसमें परिवार का हर सदस्य शामिल होता है। ऐसे में अवकाश मिलने से न केवल पूजा में आसानी होगी, बल्कि सभी को अपनी धार्मिक आस्था का पालन करने का उचित अवसर भी मिलेगा।
राज्य सरकार से सहयोग की अपील
राजकुमार और डीएस त्रिपाठी ने राज्य सरकार से अपील की है कि छठ पूजा के अवसर पर विशेष अवकाश की घोषणा की जाए। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में भी छठ पर सार्वजनिक अवकाश की व्यवस्था की जाती है, ताकि लोग अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक जिम्मेदारियों को निभा सकें। बिस्वास संस्था ने कहा है कि अगर राज्य सरकार इस मांग पर ध्यान देगी, तो यह लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान होगा और समाज में सांस्कृतिक एकता को भी बल मिलेगा।
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