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गजपति महाराज ने इस्कॉन को दी चेतावनी

  • कहा-जगन्नाथ रथयात्रा परंपरा का पालन नहीं करने पर की जाएगी कानूनी कार्रवाई

भुवनेश्वर। मंगलवार को भगवान जगन्नाथ के आद्य सेवक तथा पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव ने चेतावनी दी कि अगर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को पारंपरिक रूप से निर्धारित तिथियों के बाहर आयोजित करता है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह चेतावनी उस विवाद के बीच आई है, जिसमें इस्कान द्वारा आगामी 9 नवंबर को अमेरिकन लीजियन पार्क में श्री जगन्नाथ रथयात्रा आयोजित की जानी है। गजपति महाराज के आपत्ति जताने के बावजूद यह कार्यक्रम इस्कॉन की वेबसाइट पर सूचीबद्ध है।

गजपति महाराज, जो श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने इस्कॉन की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि संस्था के वैश्विक केंद्र रथयात्रा और स्नान यात्रा की तिथियों का शास्त्रों और परंपरा के अनुसार पालन करें।

भक्तों की भावनाएं आहत

एक प्रेस वार्ता में गजपति महाराज ने कहा कि इन तिथियों से कोई भी विचलन विश्व भर में करोड़ों जगन्नाथ भक्तों की भावनाओं को आहत करता है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस्कॉन ने 3 नवंबर को प्रस्तावित स्नान यात्रा को रद्द कर दिया है, लेकिन 9 नवंबर को ह्यूस्टन में रथयात्रा के संबंध में कोई घोषणा नहीं की गई है।

परंपराओं में खलल न डाले

उन्होंने बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार भगवान जगन्नाथ केवल स्नान यात्रा और रथयात्रा के अवसर पर ही मंदिर से बाहर आते हैं। इस्कॉन वैश्वव धर्म का प्रचार कर सकता है, लेकिन परंपराओं में खलल नहीं डालना चाहिए।

गजपति महाराज ने बताया कि इस्कॉन 1967 से असमय रथयात्रा का आयोजन कर रहा है, सबसे पहली बार सैन फ्रांसिस्को में यह उत्सव हुआ था। अक्टूबर 2007 में लुधियाना और दिसंबर 2007 में दिल्ली में भी ऐसे आयोजनों का आयोजन किया गया। सतत संवाद और प्रयासों के बाद जुलाई 2021 के बाद भारत में ऐसे असमय रथयात्रा का आयोजन बंद हो गया है, लेकिन विदेशों में यह प्रथा जारी है।

सौहार्दपूर्ण समाधान चाहते हैं

उन्होंने बताया कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन इस्कॉन के वरिष्ठ सदस्यों और स्वामियों के संपर्क में है। हालांकि, इस्कॉन तब तक अपनी योजनाओं में बदलाव करने की संभावना नहीं है जब तक कि मार्च में होने वाली उनकी गवर्निंग बॉडी की बैठक में इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता। उन्होंने कहा कि हम शांतिप्रिय और धैर्यवान लोग हैं; हम इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान चाहते हैं।

उन्होनें कहा कि अब बहुत हो चुका है। उन्होने चेतावनी दी कि अगर इस्कॉन श्रीमंदिर की परंपराओं का पालन नहीं करता है, तो कानूनी कार्रवाई अंतिम उपाय के रूप में की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम तर्क और शास्त्र के माध्यम से समझौता करने में विश्वास करते हैं।

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