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पिछले तूफानों में हुई हर चूक पर रहा नई सरकार का फोकस
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मुख्यमंत्री मोहन माझी की सक्रियता ने राहत व बचाव की टीम में भरी थी उत्साह
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संकटमोचन के रूप में मानवता के कई नये चेहरे दिखे
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
भीषण चक्रवात डाना पर हुईं तैयारियां 1999 में आए महाचक्रवात जैसी भयावह स्थिति को संभाल सकती थीं। पिछले तूफानों में हुई हर चूक पर नई सरकार का फोकस रहा तथा मुख्यमंत्री मोहन माझी की सक्रियता ने राहत व बचाव की टीम में उत्साह भर दी थी। इस बार भीषण चक्रवात डाना में ग्राउंड जीरो पर संकटमोचन के रूप में मानवता के कई नये चेहरे दिखे।
किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए सरकार की तैयारियां और उसका सही क्रियान्वयन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। कहने को तो ओडिशा में सरकार कुछ महीनों की है। सभी नये हैं, लेकिन इनके पास पिछले तूफानों के दौरान हुई हर चूक का अनुभव नई सरकार की टीम में भरपूर था, जिस पर सरकार ने फोकस किया।
आश्रयस्थल में जाने वालों की संपत्ति की सुरक्षा
पिछले चक्रवातों के दौरान अक्सर देखने को मिलता था, लेकिन अपनी संपत्ति की सुरक्षा को लेकर अपने-अपने घरों से चक्रवात आश्रय स्थलों पर नहीं जाते थे। ऐसे लोगों को घर में रखी संपत्ति की चोरी का खतरा रहता था, लेकिन इस बार मोहन माझी सरकार ने कहा कि ऐसी हर संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। इतना नहीं मोहन माझी ने अपनी मंत्रियों और विधायकों की टीम को मैदान में उतार दिया। इससे लोगों के बीच अपनी संपत्ति का सुरक्षा का भरोसा हुआ और सरकार की जीरो कैजुअल्टी का लक्ष्य हासिल हुआ।
नेतृत्व की सक्रिया से बचाव-राहत टीम उत्साहित
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ-साथ विधायक और मंत्रियों की ग्राउंड लेबल की सुक्रियता ने बचाव व राहत कार्य में जुटी टीम में उत्साह भर दिया था। भीषण चक्रवात के दौरान ग्राउंड जीरो पर इसे स्पष्ट रूप से उस समय देखा गया, जब आशाकर्मी शिवानी मंडल ने कई वृद्धाओं को पीठ पर लादकर आश्रयस्थल तक पहुंचा। इतना नहीं एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंच पाने के कारण एंबुलेंस के कर्मचारी ने एक महिला को हाथों पर उठाकर एंबुलेंस तक लाया और उसे सही समय पर अस्पताल पहुंचाया।
खाने-पीने की व्यवस्था को परखा
चक्रवात से बचाने के लिए आश्रयस्थल पर लाये गये लोगों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ-साथ उन सभी मंत्रियों ने खुद खाकर परखा कि खाने की वस्तुओं की गुणवत्ता कैसी है। मुख्यमंत्री को चूड़ा खाते हुए देखा गया।
मुख्यमंत्री खुद कर रहे थे निगरानी
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पूरी बचाव व राहत कार्य अभियान की निगरानी खुद कर रहे थे। खबर है कि जब तक चक्रवात की स्थिति सामान्य नहीं हुई, तब तक मुख्यमंत्री देर रात तक और सुबह-सुबह सभी अधिकारियों के साथ मिलकर हर पहलुओं की समीक्षा कर रहे थे। लगातार दो दिन उन्होंने हवाई सर्वे किया।
किसी भी स्थिति से निपट सकते थे हम
सूत्रों ने कहा कि भीषण चक्रवात डाना को लेकर जिस स्तर की व्यवस्था की गयी थी, वह किसी भी भीषण परिस्थिति को संभालने के लिए प्रयाप्त थी। उनसे जब पूछा गया कि यदि स्थिति 1999 जैसी महाचक्रवात की होती तो क्या होता, इस पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि सतर्कता, तैयारियां और उत्साह सभी चरम सीमा पर थी। इस उदाहरण बचाव व राहतकार्य के दौरान देखा जा चुका है कि एक आशाकर्मी पीठ पर लादकर और एक एंबुलेंस चालक हाथों पर उठाकर एक महिला को एंबुलेंस तक लाता है। ऐसे संकटमोचन हजारों की संख्या में तैनात थे।
हर स्तर पर थी सक्रियता
मोहन माझी सरकार के साथ-साथ सामाजिक संस्थाएं, भाजपा का हर कार्यकर्ता, आरआरएस और अन्य संगठनों के कार्यकर्ता भी सक्रिय थे।
साल 1999 से अब तक ओडिशा को प्रभावित करने वाले चक्रवात
- 1999 का सुपर साइक्लोन
- तारीख: 29 अक्टूबर, 1999
- हवा गति: 260 किमी/घंटा
- क्षति:
- मृत्यु: 9,000+ (आधिकारिक तौर पर)
- फसल क्षति: 18 लाख एकड़ भूमि प्रभावित
- क्षति का अन्य विवरण: 16 लाख घर क्षतिग्रस्त, 2 लाख से अधिक मवेशियों की मृत्यु
- चक्रवात फाइलिन
- तारीख: 12 अक्टूबर, 2013
- हवा की गति: 210 किमी/घंटा
- क्षति:
- मृत्यु: 45 लोग (अनुमानित)
- फसल क्षति: 12.44 लाख एकड़ भूमि प्रभावित
- क्षति का अन्य विवरण: 2.34 लाख घर प्रभावित, लगभग 90 लाख लोग प्रभावित
- चक्रवात हुड़हुड़
- तारीख: 12 अक्टूबर, 2014 (ओडिशा में आंशिक प्रभाव)
- हवा की गति: 195 किमी/घंटा (मुख्यतः आंध्र प्रदेश प्रभावित)
- क्षति:
- मृत्यु: 3 लोग (ओडिशा में)
- फसल क्षति: 0.5 लाख एकड़ भूमि प्रभावित
- क्षति का अन्य विवरण: ओडिशा में आंशिक प्रभाव, तटीय क्षेत्रों में जलभराव
- चक्रवात तितली
- तारीख: 11 अक्टूबर, 2018
- हवा गति: 150 किमी/घंटा
- क्षति:
- मृत्यु: 77 लोग (अनुमानित)
- फसल क्षति: 2.75 लाख एकड़ भूमि प्रभावित
- क्षति का अन्य विवरण: 3 लाख से अधिक लोग प्रभावित, कई घर क्षतिग्रस्त
- चक्रवात फनी
- तारीख: 3 मई, 2019
- हवा गति: 200 किमी/घंटा
- क्षति:
- मृत्यु: 64 लोग
- फसल क्षति: 5 लाख एकड़ भूमि प्रभावित
- क्षति का अन्य विवरण: 5 लाख घर क्षतिग्रस्त, 1 करोड़ लोग प्रभावित, भुवनेश्वर और पुरी में व्यापक क्षति
- चक्रवात अम्फान
- तारीख: 20 मई, 2020 (मुख्यतः पश्चिम बंगाल प्रभावित)
- हवा गति: 160 किमी/घंटा
- क्षति:
- मृत्यु: 3 लोग (ओडिशा में)
- फसल क्षति: 0.2 लाख एकड़ भूमि प्रभावित
- क्षति का अन्य विवरण: तटीय क्षेत्रों में जलभराव और घरों में मामूली क्षति
- चक्रवात यास
- तारीख: 26 मई, 2021
- हवा गति: 130-140 किमी/घंटा
- क्षति:
- मृत्यु: 2 लोग
- फसल क्षति: 2.5 लाख एकड़ भूमि प्रभावित
- क्षति का अन्य विवरण: 60,000 से अधिक घर प्रभावित, बालेश्वर और मयूरभंज जिलों में भारी क्षति
- चक्रवात जवाद
- तारीख: दिसंबर 2021 (कम प्रभाव)
- हवा गति: 85 किमी/घंटा
- क्षति:
- मृत्यु: कोई मौत दर्ज नहीं
- फसल क्षति: मामूली क्षति
- क्षति का अन्य विवरण: तटीय क्षेत्रों में हल्की बारिश और जलभराव
- चक्रवात डाना
- तारीख: अक्टूबर 2023
- हवा गति: 150 किमी/घंटा
- क्षति:
- मृत्यु: एक भी नहीं
- फसल क्षति: 1 लाख एकड़ भूमि प्रभावित
- क्षति का अन्य विवरण: कई घर और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रभावित, राहत कार्यों में सरकार की तत्परता
1999 का महाचक्रवात: विनाश की पराकाष्ठा
ओडिशा ने 29 अक्टूबर 1999 को अपने सबसे भीषण चक्रवात का सामना किया, जिसे महाचक्रवात के रूप में जाना जाता है। 260 किमी/घंटा की रफ्तार से पारदीप के निकट तट पर लैंडफॉल करने वाले इस चक्रवात ने राज्य के 14 जिलों को तहस-नहस कर दिया था। लगभग 9,000 लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि की गई, लेकिन अनाधिकारिक आंकड़े इसके कहीं अधिक बताए जाते हैं।
इस महाचक्रवात में जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ, 13 मिलियन लोग प्रभावित हुए और 16 लाख से अधिक घर पूरी तरह या आंशिक रूप से ध्वस्त हो गए। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, लगभग 3 लाख मवेशियों की मौत हुई और 3.5 मिलियन बुजुर्ग, 3.3 मिलियन बच्चे और 5 मिलियन महिलाएं इस चक्रवात की मार झेलने को मजबूर हुए।
फनी में तैयारियों के बावजूद लगे महीनों
1999 के बाद 2019 में ओडिशा पर फिर एक बड़ा चक्रवात ‘फनी’ का कहर बरपा। करीब 200 किमी/घंटा की रफ्तार से तट पर पहुंचने वाले इस चक्रवात के समय प्रशासन और जनता पहले से अधिक तैयार थे। 1999 की त्रासदी से सीख लेते हुए व्यापक स्तर पर व्यवस्था की थी, लेकिन राजधानी भुवनेश्वर में ही बिजली बहाली 7-10 दिन लग गये थे। तैयारियां थी, लेकिन आवश्यकतानुसार वस्तुओं की खरीद नहीं हुई थी, क्योंकि बिजली के पोल की कमी की खबरें सुर्खियों में छायी रही।
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