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आयोजन के दौरान दर्शकों को श्रीमंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं देने का प्रस्ताव
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सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों को भी तैनात नहीं करने की मांग
प्रमोद कुमार प्रुष्टि, पुरी
श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार ने कहा कि पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ के स्नान पूर्णिमा उत्सव पर पांच जून को श्रीमंदिर में प्रवेश के लिए सेवायतों को पास जारी किया जायेगा, ताकि कोविद नियम के तहत सामाजिक दूराव का पालन किया जा सके. उन्होंने कहा कि पास के बिना किसी को भी श्रीमंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी. हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि लोगों को समारोह देखने की अनुमति दी जाए या नहीं. कल बैठक में वरिष्ठ अधिकारी और 10 विभिन्न नियोग के प्रतिनिधि शामिल थे. हमने पहले दैतापति नियोग के साथ चर्चा की है. इसके बाद हम छतीसा नियोग के साथ बातचीत करेंगे. अंतिम निर्णय प्रबंध समिति की बैठक में लिया जाएगा.
वर्तमान प्रतिबंध मंदिर परिसर के बाहर कोई अनुष्ठान करने की अनुमति नहीं देते हैं. हम 31 मई तक इंतजार करेंगे, ताकि दिशानिर्देशों के नए सेट के आधार पर उचित निर्णय लिया जाए. उन्होंने कहा कि हमारे पास दैतापति नियोग के साथ एक चर्चा हुई और फिर कोविद-19 पर एक ओरिएंटेशन सेसन का आयोजन किया गया. 23 मई को गराबाडु नियोग के साथ एक और सत्र है. तब तक एक निर्णय लिया जाएगा कि क्या उन्हें संस्थागत संगरोध में भेजा जाएगा या घर संगरोध में रखा जाएगा. प्रत्येक सेवायत इसके लिए तैयार हैं, ताकि इस उत्सव को सुचारू रूप से आयोजित किया जा सके.
गराबाडु नियोग के सचिव रजत कुमार पटिहारी कहा कि यह विचार किया गया है कि न्यूनतम संख्या में सेवायतों की भागीदारी के साथ स्नान पूर्णिमा के सभी अनुष्ठानों को पूरा किया जाये. इसके लिए चुने गए सेवायतों को पास दिया जायेगा. जो मंदिर में प्रवेश की सुविधा प्रदान करेंगे. इस दौरान सेवायतों की तरफ से प्रस्ताव दिया गया है कि किसी भी पुलिस को श्री मंदिर में आने अनुमति नहीं होगी, क्यों कोई भी दर्शक अंदर जाने वाले नहीं हैं. इसलिए अंदर की सुरक्षा की जिम्मेदारी परंपरा के अनुसार प्रतिहारी सेवायतों की होगी. हाथ में बेंत के साथ ये पहरेदारी करेंगे.
साथ ही रथयात्रा को लेकर भी एक और प्रस्ताव लाया है कि पुरी में पुलिस और दर्शक विहीन रथयात्रा आयोजित की जाये. इस रथ को सेवायत खींचकर गुंडिचा मंदिर तक ले जायेंगे और बाहुड़ा यात्रा के दिन वहां श्रीमंदिर लायेंगे. सेवायतों ने कहा कि इस परंपरा को निभाने के लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार हैं, लेकिन रथयात्रा को निकालने के लिए प्रशासन को अनुमति प्रदान करनी होगी. हालांकि यह प्रस्ताव श्रीमंदिर संचालन कमेटी और छतीसा नियोग की बैठक में पारित होने के बाद राज्य सरकार के पास रथयात्रा आयोजन के लिए अनुमति मांगने को भेजा जायेगा.