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परियोजना की डिलीवरी को पारदर्शी और सुचारू बनाना का प्रयास
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अब कुल प्रोजेक्ट राशि का एक फीसदी रकम रखनी होगी एस्क्रो अकांउट में
भुवनेश्वर। ओडिशा रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (ओरेरा) ने राज्य में परियोजना की डिलीवरी को पारदर्शी और सुचारू बनाने के प्रयास में 3 जुलाई को जारी अधिसूचना में संशोधन किया है। यह संशोधन गृह खरीदारों के हित को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
ओरेरा के संशोधित प्रावधान के अनुसार, परियोजना के पूर्ण होने के बाद प्रोजेक्ट की लागत का अधिकतम एक प्रतिशत रकम अगले पांच वर्षों तक उसी एस्क्रो खाते में रखा जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है कि इस राशि का उपयोग अधिनियम की धारा 14(3) के तहत संरचनात्मक दोषों/कारीगरी में किसी अन्य दोष आदि की मरम्मत के लिए किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, यह प्रावधान उन परियोजनाओं पर लागू होगा जो आवंटियों से प्राप्त धन से विकसित की गई हैं। जिन परियोजनाओं का डेवलपमेंट प्रोमोटर्स के धन से किया गया है, उनके लिए ऐसे मरम्मत के खर्चों को प्रोमोटर स्वयं उठाएगा।
प्रोमोटर को परियोजना के पूर्ण होने पर एक निर्धारित आवेदन पत्र में प्राधिकरण से परियोजना के बंद होने के लिए आवेदन करना आवश्यक होगा। आवेदन पत्र में प्रस्तुत जानकारी की गहन जांच के बाद प्राधिकरण सभी आवश्यक मानदंडों की पूर्ति होने पर परियोजना के बंद होने की अनुमति देगा।
ओडिशा रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी का संशोधन स्वागत योग्य – डीएस त्रिपाठी
क्रेडाई ओडिशा के चेयरमैन डीएस त्रिपाठी ने इस कदम का स्वागत कहते हुए कहा कि पिछले नियमों के अनुसार, पहले ओरेरा में पूरा 70 फीसदी राशि एस्क्रो एकाउंट में परियोजना के पूरा होने तथा अगले साल पांच साल तक संरचनात्मक दोषों की मरम्मत के लिए रखनी पड़ती थी। लंबे समय से क्रेडाई इसे हटाने की मांग कर रही थी। अब ओरेरा ने इस मांग पर ध्यान देते हुए थोड़ी राहत दी है। नये नियम के अनुसार, परियोजना की कुल बजट राशि का एक फीसदी रखना पड़ेगा। हालांकि इसे भी हटाये जाने की जरूरत है, क्योंकि रेरा के मुख्य नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। बावजूद इसके राहत भरे कदम का क्रेडाई स्वागत करता है। फिर भी हम क्रेडाई की तरफ से आग्रह करते हैं कि रेरा के मुख्य प्रावधानों के अनुरूप ही ओडिशा रेरा भी नियमों को लागू करे तथा इस एक फीसदी की बाध्यता भी हटायी जाये।
एस्क्रो एकाउंट क्या है?
एस्क्रो एकाउंट का मतलब एक ऐसे एकाउंट की व्यवस्था है जहां थर्ड पार्टी, जो न तो खरीदार है और न विक्रेता, दो ट्रांज़ैक्शन पार्टियों के बीच फंड, डॉक्यूमेंट और कार्य को संभालती है और केवल तभी फंड रिलीज करती है जब एग्रीमेंट की सभी शर्तें पूरी की जाती हैं। थर्ड पार्टी को एस्क्रो एजेंट या अधिकारी के रूप में जाना जाता है।
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