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ओडिशा हाई कोर्ट ने भरतपुर थाना मामले में केस डायरी मांगी

  • सरकारी पक्ष ने केस डायरी प्रस्तुत करने का समय मांगा

  • अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार, अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को

कटक। ओडिशा हाई कोर्ट की अवकाश पीठ ने भुवनेश्वर के भरतपुर थाना कस्टोडियल टॉर्चर मामले में अलग-अलग अग्रिम जमानत याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई की। जस्टिस संगम कुमार साहू की अध्यक्षता में हुई इस सुनवाई में चार पुलिस अधिकारियों, सब-इंस्पेक्टर वैशालिनी पंडा, असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर सागरिका रथ, सालिलमयी साहू और कांस्टेबल बलराम हांसदा की याचिकाओं पर विचार किया गया।

सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष ने कोर्ट से केस डायरी दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। इसके विपरीत, याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम सुरक्षा की मांग की।

हालांकि, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आज अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामले में कोई आदेश नहीं जारी किया जाएगा। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की है, जिसमें सरकार को केस डायरी और जांच से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला भरतपुर थाना में कथित कस्टोडियल टॉर्चर का है, जिसमें शिकायत दर्ज कराने आए सेना के अधिकारी और उनके मंगेतर के साथ पुलिस द्वारा अत्याचार का आरोप है। इस घटना के बाद सरकार ने भरतपुर थाने के पूर्व इंस्पेक्टर-इन-चार्ज दीनाकृष्ण मिश्र सहित चार अन्य पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। निलंबित पुलिस अधिकारियों ने 30 सितंबर को हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी ताकि संभावित गिरफ्तारी से बचा जा सके। पूर्व इंस्पेक्टर-इन-चार्ज दीनाकृष्ण मिश्र की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह होनी है।

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