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वरिष्ठ नेता अमर सतपथी ने दिया बीजद को झटका

  • कहा – पार्टी से जुड़े हुए नहीं हैं वह

भुवनेश्वर। 2024 के आम चुनाव में पराजय के बाद बीजू जनता दल का अंदरुनी विवाद लगातार बढ़ रहा है तथा यह थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2024 के विधानसभा चुनाव में हार को लेकर पार्टी सुप्रीमो नवीन पटनायक पर निशाना साधने के बाद पूर्व विधायक तथा पूर्व मंत्री अमर सतपथी ने सोमवार को यह कहकर राजनीतिक गलियारे में हलचल और बढ़ा दी कि अब उनका बीजद से कोई संबंध नहीं है।

उन्होंने कहा कि मैं अब बीजद से जुड़ा नहीं हूं। मैं एक तरह से स्वतंत्र हूं, क्योंकि मैंने सदस्यता अभियान के दौरान पार्टी की सदस्यता नहीं ली है। भाजपा समेत कई राजनीतिक दल मुझसे बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, मैं सक्रिय राजनीति में नहीं हूं।

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व ही सतपथी ने बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि हमने नवीन पटनायक को नेता बनाया था, पांडियन को नहीं। यदि विजय का श्रेय नवीन पटनायक को जाता है तो पराजय की जिम्मेदारी भी उन्हें लेनी चाहिए।

संबंध तोड़ लेना चाहिए: बीजद

इधर, बीजद के प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने सोमवार को कहा कि अमर सतपथी को आधिकारिक रूप से पार्टी से संबंध तोड़ लेना चाहिए। यह प्रतिक्रिया सतपथी के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि अब उनका बीजद से कोई संबंध नहीं है।

मोहंती ने कहा कि यदि सतपथी अब बीजद के साथ नहीं रहना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि वह पार्टी छोड़ दें। उनका भतीजा पहले ही भाजपा में है और यदि वह भी अपने भतीजे के पदचिह्नों पर चलना चाहते हैं, तो उन्हें उसी रास्ते पर बढ़ना चाहिए। मोहंती ने यह भी कहा कि पार्टी ने सतपथी को कई अवसर दिए, लेकिन वह नए और युवा नेताओं को आगे बढ़ाने में असफल रहे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सतपथी के जाने से बीजद पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

शामिल करने पर शीर्ष नेतृत्व लेगा निर्णय : प्रताप षाड़ंगी

भाजपा सांसद प्रताप षाड़ंगी ने अमर सतपथी के भाजपा में शामिल होने को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अमर सतपथी को पार्टी में शामिल करना या न करना भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा।

षाड़ंगी ने कहा कि इस समय बीजद की स्थिति बहुत अस्थिर है और यह हर दिन कमजोर होती जा रही है। बीजद का जहाज डूब रहा है, और यह स्थिति पार्टी में साफ नजर आ रही है। बीजद में लोकतंत्र नहीं है। पार्टी के संस्थापक सदस्य अब तक पार्टी छोड़ चुके हैं, और अब वहां केवल ‘मेरी राय’ का शासन चल रहा है।

प्रताप षाड़ंगी ने आगे कहा कि बीजद में रहना अब मुश्किल हो गया है क्योंकि वहां न तो सदस्यों की प्रतिष्ठा बची है और न ही स्वतंत्रता। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अस्थिरता के दौर में बीजद के नेताओं के लिए पार्टी में टिके रहना कठिन हो गया है।

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