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“No one is saying a Rich man passed away”
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रतन टाटा की सादगी और मानवता की मिसाल
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
जब रतन टाटा का निधन हुआ, पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। वे सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि सादगी, जनसेवा और मानवता के जीवंत प्रतीक थे। यही कारण है कि उनके निधन के बाद लोग कहने लगे हैं, “No one is saying a Rich man passed away” – अर्थात, कोई यह नहीं कह रहा कि एक अमीर व्यक्ति दुनिया से चला गया, बल्कि एक इंसानियत से भरा व्यक्ति हमें छोड़कर चला गया।
यह कथन रतन टाटा के जीवन की सादगी और उनके समाज के प्रति समर्पण को दर्शाता है। एक ऐसे व्यक्ति के लिए, जिसने न केवल व्यापारिक जगत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि अनगिनत लोगों की जिंदगी बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनकी सादगी और मानवीयता ही उन्हें सबसे खास बनाती है। अब सवाल उठता है कि मानवता को प्राथमिकता देने वाले रतन की इंसानियत को कौन संभालेगा? विरासत तो कोई भी संभाल लेगा, लेकिन इंसानियत की विरासत कौन संभालेंगा?
सच्ची महानता संपत्ति में नहीं
रतन टाटा की जिंदगी ने यह साबित किया कि सच्ची महानता संपत्ति में नहीं, बल्कि इंसानियत और विनम्रता में है। उन्होंने कभी भी अपने जीवन को भौतिक वस्त्रों या दिखावे से सजाने की कोशिश नहीं की। उनका जीवन हमेशा सादगी और ईमानदारी पर आधारित रहा।
जीवन कभी भी विलासिता की चमक-दमक से नहीं भरा
टाटा समूह के चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपार संपत्ति और सफलता हासिल की, लेकिन उनका जीवन कभी भी विलासिता की चमक-दमक से नहीं भरा रहा। वे अक्सर बिना तामझाम के चलते थे, सादे कपड़े पहनते थे, और छोटे-छोटे घरों में रहकर अपना जीवन बिताते थे। उनकी यह सादगी न केवल उनके निजी जीवन में दिखती थी, बल्कि उनके कार्यशैली में भी साफ झलकती थी।
रतन टाटा के जीवन का यह पहलू हमें यह सिखाता है कि सफलता केवल धन और शोहरत से नहीं मापी जाती, बल्कि सादगी और विनम्रता से ही सच्ची पहचान मिलती है।
जनसेवा और समाज के प्रति प्रतिबद्धता
रतन टाटा का मानना था कि समाज की सेवा करना और लोगों की भलाई के लिए काम करना किसी भी सफल व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने अपने जीवन को इस जिम्मेदारी को निभाने में समर्पित किया। उनका दृष्टिकोण हमेशा समाज के निचले तबके की मदद करने का रहा।
साधनहीन को सफल करने में जुटे रहे
टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से रतन टाटा ने स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार के क्षेत्रों में असंख्य लोगों की मदद की। उनकी सोच हमेशा यह रही कि समाज में केवल वे लोग सफल नहीं हो सकते जो संपन्न हैं, बल्कि उन लोगों को भी सफल बनाना होगा जो साधनहीन हैं। उन्होंने कभी किसी की जाति, धर्म, या आर्थिक स्थिति का भेदभाव नहीं किया, बल्कि सभी के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए कार्य किया।
महानता समाज की सेवा में निहित
रतन टाटा की यह सोच उनकी समाज के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने देश के सबसे दूरदराज और पिछड़े इलाकों में भी विकास के बीज बोए, चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या स्वास्थ्य सेवाओं में। उनकी यह सोच हमें यह सिखाती है कि सच्ची महानता समाज की सेवा में निहित है।
दूसरों के दुःख और तकलीफों को समझते थे
रतन टाटा का जीवन सिर्फ सादगी और समाज सेवा तक ही सीमित नहीं था। वे एक गहरे संवेदनशील और मानवीय व्यक्ति थे, जो हमेशा दूसरों के दुःख और तकलीफों को समझते थे। उन्होंने अपनी कंपनी के कर्मचारियों के साथ एक ऐसा रिश्ता बनाया, जिसे आज भी याद किया जाता है। उनके लिए कर्मचारी केवल संसाधन नहीं थे, बल्कि परिवार का हिस्सा थे।
जब भी उनके कर्मचारियों या समाज में किसी को जरूरत होती, रतन टाटा हमेशा सबसे पहले मदद के लिए खड़े होते। चाहे 1999 के ओडिशा के सुपर साइक्लोन की बात हो या 2019 के फनी तूफान की, उन्होंने हमेशा बिना किसी शर्त के राहत कार्यों में टाटा समूह को आगे रखा। उनकी इस मानवीयता ने उन्हें न केवल एक सफल व्यवसायी, बल्कि एक सच्चे इंसान के रूप में स्थापित किया।
जमीनी स्तर से जुड़ाव
रतन टाटा के जीवन का एक और महत्वपूर्ण पहलू था उनका जमीनी स्तर पर जुड़ाव। जहां अधिकांश उद्योगपति अपनी सफलता के बाद समाज से दूरी बना लेते हैं, रतन टाटा ने हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहकर काम किया। उनका मानना था कि उद्योग की सच्ची सफलता तभी मानी जा सकती है जब वह समाज के हर वर्ग को लाभ पहुंचाए।
हर कदम पर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया
उन्होंने अपने जीवन में न केवल बड़े-बड़े परियोजनाओं का नेतृत्व किया, बल्कि व्यक्तिगत रूप से लोगों की समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने की कोशिश की। चाहे ओडिशा के जगा मिशन के तहत झुग्गीवासियों को घर दिलाने की बात हो या ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने की, रतन टाटा ने हर कदम पर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया।
उनका यह दृष्टिकोण हमें यह सिखाता है कि सच्ची सफलता केवल ऊंचाइयों पर पहुंचने में नहीं, बल्कि जमीन से जुड़े रहकर समाज की भलाई के लिए काम करने में है।
रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणा
रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणा है कि किस प्रकार एक सफल व्यक्ति भी सादगी, विनम्रता और मानवता के गुणों को अपना सकता है। उनकी संपत्ति और सफलता के बावजूद, उनका जीवन हमेशा दूसरों की सेवा और भलाई के लिए समर्पित रहा।
उनके निधन के बाद जो शोक की लहर देशभर में देखी गई, वह उनकी संपत्ति या शोहरत के कारण नहीं, बल्कि उनके मानवीय गुणों और समाज के प्रति उनके समर्पण के कारण थी। वे एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने केवल व्यापार में नहीं, बल्कि दिलों में भी जगह बनाई।
रतन टाटा के जीवन का यह संदेश हमारे लिए एक प्रेरणा है कि सच्ची महानता धन में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में बसने और समाज की भलाई के लिए काम करने में है। और यही कारण है कि उनके निधन पर किसी ने यह नहीं कहा कि एक अमीर व्यक्ति दुनिया से चला गया, बल्कि यह कहा गया कि एक महान इंसान चला गया।
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