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हीराकुद बांध की सिंचाई प्रणाली में होगा बड़ा सुधार

  •  855 करोड़ रुपये खर्च करेगी भाजपा सरकार

भुवनेश्वर। महानदी नदी पर स्थित हीराकुद बांध की सिंचाई प्रणाली को नया रूप देने के लिए भाजपा सरकार ने 855 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री मोहन माझी के नेतृत्व वाली सरकार इस प्रतिष्ठित परियोजना को 2027-28 तक पूरा करने के उद्देश्य से अगले चार वर्षों में यह राशि खर्च करेगी।

1957 में निर्मित हीराकुद बांध देश का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है, जिसे बाढ़ नियंत्रण, बिजली उत्पादन और सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया था। हालांकि, वर्षों से इसकी नहर प्रणाली में कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं, जिसके चलते इसकी कार्यक्षमता में गिरावट आई है।

यह नहर प्रणाली खरीफ के मौसम में 1.59 लाख हेक्टेयर और रबी के मौसम में 1.12 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करती थी, जो अब दरारों, जल निकासी और जलभराव जैसी समस्याओं से जूझ रही है। इस समस्या के चलते किसानों को खेतों तक पानी पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन विभाग ने इस परियोजना के पुनर्निर्माण और नहर नेटवर्क के अंतिम छोर तक उचित जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 855 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है।

विभाग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पुनर्निर्माण योजना का मुख्य उद्देश्य नहर प्रणाली से होने वाले रिसाव के कारण जलभराव वाली कृषि योग्य भूमि को पुनः प्राप्त करना है। परियोजना के तहत नहर प्रणाली में साइफन और एक्वाडक्ट को स्थिर किया जाएगा।

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