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राज्य के हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान जतायी थी नाराजगी
भुवनेश्वर। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की जाहिर की गयी नाराजगी के बाद आज भरतपुर थाने में 16 सीसीटीवी कैमरे लगाए दिये गये हैं। वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जाने के कारण व्यापक आक्रोश था।
पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए पुलिस स्टेशन के अंदर और बाहर दोनों जगह कैमरे लगाए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि और नौ सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। यहां यह बताना उचित होगा कि यह कदम उस समय उठाया गया, जब पुलिस स्टेशन एक भारतीय सेना अधिकारी और उसकी मंगेतर के कथित दुर्व्यवहार के विवाद में उलझ गया था।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने सोमवार को इस बात पर नाराजगी जताई थी कि राज्य के 650 पुलिस स्टेशनों में से 57 में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने एडीजी को राज्य भर के पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरों पर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने अतिरिक्त महानिदेशक (आधुनिकीकरण) को राज्यभर के पुलिस थानों में सीसीटीवी लगाने की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। न्यायालय के हस्तक्षेप के फलस्वरूप भरतपुर पुलिस थाने में कैमरे शीघ्रता से लगाये गये।
हाईकोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर जताई थी नाराजगी
इधर, एक रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति साबित्री रथ की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सिंह ने कहा कि पूरी घटना परेशान करने वाली लग रही है। दो लोग किसी अपराध को अंजाम देने के इरादे से नहीं, बल्कि शिकायत दर्ज कराने के इरादे से थाने गए थे। थाने में जो कुछ हुआ वह रहस्य बना हुआ है और इसकी जांच चल रही है। लेकिन, थाने से बाहर निकलते समय उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कर ली गई।
क्या यह जानने के बाद कोई थाने जाएगा?
चीफ जस्टिस ने कहा कि डीजीपी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह जानने के बाद कोई थाने जाएगा? अगर सेना के अधिकारी की जगह कोई आईपीएस अधिकारी थाने जाता तो क्या पुलिस उसके साथ ऐसा व्यवहार करती? सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कोर्ट में मौजूद एडवोकेट जनरल पीतांबर आचार्य से कहा कि वे लोगों का सिस्टम में विश्वास बहाल करना सुनिश्चित करें।
हाईकोर्ट जांच में हस्तक्षेप नहीं करेगा
साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि हाईकोर्ट जांच में हस्तक्षेप नहीं करेगा, क्योंकि पुलिस को जांच करने का संवैधानिक अधिकार है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि कोर्ट ने जो भी कहा है, उससे केस प्रभावित न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।