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सैन्य अधिकारी व मंगेतर से मारपीट की होगी न्यायिक जांच

  • ओडिशा सरकार ने जारी की अधिसूचना

  • उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति चित्तरंजन दाश करेंगे जांच आयोग का नेतृत्व

  • मुख्यमंत्री ने पीड़ित सैन्य अधिकारी, मंगेतर, परिवार व पूर्व सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने सोमवार को औपचारिक रूप से भुवनेश्वर के भरतपुर पुलिस थाने में एक महिला और एक सेवारत सेना मेजर पर हुए हमले की न्यायिक जांच के लिए राजपत्रित अधिसूचना जारी की। जांच आयोग का नेतृत्व उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति चित्तरंजन दाश करेंगे।

गृह विभाग द्वारा जारी औपचारिक अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि भरतपुर थाने में एक महिला और एक सेवारत सैन्य अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार व हमले का आरोप लगाते हुए मामले और जवाबी मामले दर्ज किए गए हैं। यह गंभीर सार्वजनिक महत्व का मामला है। इसलिए इसकी जांच जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत जांच आयोग द्वारा की जानी चाहिए।

घटनाओं के क्रम और कथित परिस्थितियों की जांच करने के अलावा आयोग को भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझाने को कहा गया है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मोहन माझी ने रविवार देर रात को एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद कथित हमले के मामले की न्यायिक जांच की घोषणा की थी। बैठक में दोनों उपमुख्यमंत्रियों केवी सिंहदेव और प्रभाति परिडा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी, कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन, महाधिवक्ता पीतांबर आचार्य, मुख्य सचिव मनोज आहूजा और डीजीपी वाईबी खुरानिया शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने जांच दल से 60 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री माझी ने रविवार शाम एक बयान में कहा था कि राज्य सरकार दोषी पाए जाने वाले सभी व्यक्तियों या अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्य सरकार ने ओडिशा उच्च न्यायालय से भी ओडिशा पुलिस की अपराध शाखा द्वारा की जा रही जांच की निगरानी करने का अनुरोध किया है। उच्च न्यायालय की निगरानी में एक स्वतंत्र जांच भी कराई जाएगी। माझी ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार भारतीय सेना का सम्मान करती है। बयान में कहा गया, ‘‘राज्य सरकार महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और अधिकारों को लेकर चिंतित है।

इधर, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सोमवार को भुवनेश्वर के लोक सेवा भवन में भारतीय सेना के कैप्टन, उनकी मंगेतर और उनके पिता से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव, कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन और राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी के साथ कुछ पूर्व सैनिक भी मौजूद थे।

सही मायनों में जनता के सीएम हैं मोहन – पीड़िता

सीएम से मुलाकात के बाद सेना अधिकारी की मंगेतर ने कहा कि मोहन माझी ने साबित कर दिया है कि वे सही मायनों में जनता के सीएम हैं। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मेरी बात ध्यान से सुनी जिसके बाद वह राहत महसूस कर रही है। महिला ने कहा कि अपराध में कथित तौर पर शामिल सात पुलिसकर्मियों को दंडित किए और न्याय मिलने के बाद ही उसे शांति मिलेगी। वह यहां राज्य सचिवालय में अपने पिता और कुछ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बात कर रही थी।

पिता ने न्याय की उम्मीद जतायी

उनके पिता ने मीडियाकर्मियों से कहा कि सरकार द्वारा मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए जाने से उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि न्यायिक जांच के आदेश के लिए मैं सीएम मोहन माझी को धन्यवाद देता हूं। मुझे उम्मीद है कि समयबद्ध तरीके से न्याय होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया जो पुलिस थाने में उनकी बेटी के साथ कथित मारपीट की कथित घटनाओं की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर प्रसारित करके उनकी बेटी का चरित्र हनन कर रहे हैं।

बीजद ने भुवनेश्वर बंद वापस लिया

बीजू जनता दल (बीजद) ने 24 सितंबर को प्रस्तावित भुवनेश्वर बंद को वापस ले लिया है। पार्टी ने रविवार को सेना छह घंटे का बंद का आह्वान किया था। यह फैसला ओडिशा सरकार द्वारा घटना की न्यायिक जांच के आदेश के बाद आया है। पत्रकारों से बात करते हुए वरिष्ठ बीजद नेता देवी प्रसाद मिश्र ने कहा कि हमारे पार्टी के नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की थी। उन्होंने निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की बात कही थी। ओडिशा सरकार ने उनकी मांगों पर सहमति जताते हुए मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। इस कारण हमने 24 सितंबर (मंगलवार) को भुवनेश्वर में होने वाले बंद को वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार अपने वादे के मुताबिक 60 दिनों के भीतर न्यायिक जांच पूरी कर लेगी।

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