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बीते 10 वर्षों में बढ़े गंभीर आंकड़े
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719 हाथियों, 55 बाघों की मौत
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10 वर्षों में हाथियों हमलों में 1,145 लोगों की मौत
भुवनेश्वर। ओडिशा में हाथियों और बाघों पर मौत का संकट गहराता जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में हाथियों और बाघों की मौतों ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। हाल के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण चुनौतियां सामने आ रही हैं। बीते 10 सालों में 719 हाथियों और 55 बाघों की मौत हुई है, जबकि 2869 वन्यजीवों का शिकार हुआ है। ओडिशा में पिछले 10 वर्षों में हाथी हमलों में 1,140 से अधिक लोगों की मौत हुई है। यह जानकारी वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री गणेश राम सिंह खंटिया ने मंगलवार को विधानसभा में दी।
भाजपा विधायक प्रशांत जगदेव द्वारा पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में मंत्री ने कहा कि 2013-14 से 2023-24 के बीच हाथी हमलों में 1,145 लोगों की जान गई है। साथ ही, पिछले 10 वर्षों में राज्य में 719 हाथियों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है। इनमें से कम से कम 41 हाथियों का शिकार शिकारियों या वन्यजीव तस्करों द्वारा किया गया।
48 तेंदुओं और 7 रॉयल बंगाल टाइगर की मृत्यु
सदन में एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री ने बताया कि पिछले दस वर्षों में राज्य में 48 तेंदुओं और 7 रॉयल बंगाल टाइगर की मृत्यु हुई है। मंत्री ने बताया कि 25 बाघों की मौत शिकार के कारण हुई, जबकि चार बाघों की मौत बिजली के करंट लगने से हुई। इसके अलावा, पांच बाघों की मौत दुर्घटनाओं में और छह की मृत्यु डूबने से हुई।
2850 से अधिक वन्यजीवों का शिकार
अगस्त में सिंहखंटिया ने विधानसभा को यह भी सूचित किया था कि पिछले 10 वर्षों में ओडिशा में 2869 वन्यजीवों का शिकार किया गया, जिनमें बाघ, भालू, हिरण और हाथी शामिल हैं, और इस दौरान 6960 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया। वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर यह आंकड़े चिंता का विषय बने हुए हैं।