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साओरा राज्य का पांचवां जनजातीय समूह बना
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पीवीटीजी को ऐसे अधिकार प्रदान करने वाला ओडिशा बना देश का एकमात्र राज्य
भुवनेश्वर। गजपति जिले के साओरा आदिवासियों को उनकी पैतृक भूमि पर आवास अधिकार मिलने के साथ ही ओडिशा देश का एकमात्र ऐसा राज्य बन गया है, जो सबसे अधिक संख्या में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) को ऐसे अधिकार प्रदान करता है।
साओरा राज्य का पांचवां जनजातीय समूह बन गया है, जिसे ऐसे अधिकार प्राप्त हुए हैं, जो उन्हें अपने निवास स्थान में स्थित प्राकृतिक संस्थाओं, पवित्र स्थलों और धार्मिक तथा आध्यात्मिक महत्व के स्थानों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार प्रदान करते हैं।
वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत गजपति में जिलास्तरीय समिति ने हाल ही में मोहना और आर उदयगिरी ब्लॉकों के 128 गांवों को कवर करने वाले साओरा समुदाय के लिए आवास अधिकारों को मंजूरी दी है। वे आवास अधिकार क्षेत्र के भीतर प्राकृतिक वन की सुरक्षा और संरक्षण के लिए भी जिम्मेदार होंगे।
वन अधिकार अधिनियम की धारा 2(एच) के अनुसार, पर्यावास में आदिम जनजातीय समूहों, पूर्व-कृषि समुदायों और अन्य वन-निवासी अनुसूचित जनजातियों के आरक्षित और संरक्षित वनों में प्रथागत पर्यावास और ऐसे अन्य पर्यावास शामिल हैं।
साओरा लंबे समय से अपनी पैतृक भूमि के संरक्षक रहे हैं, वे संधारणीय जीवन जीते हैं और एक अनूठी सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखते हैं। उनके निवास अधिकारों के तय होने के बाद, उन्हें अपने क्षेत्रों में सभी पारंपरिक धार्मिक या सांस्कृतिक समारोहों को करने में कोई बाधा नहीं आएगी।
इससे पहले, एसटी और एससी विकास विभाग ने देवगढ़ जिले में पौडी भुइयां, केंदुझर और जाजपुर जिलों में जुआंग और नुआपड़ा जिले में चुकटिया भुंजिया के लिए आवास अधिकार की सुविधा प्रदान की थी। अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 की धारा 3(1) (ई) के तहत पीवीटीजी को आवास अधिकार दिए जाते हैं।
ओडिशा के अलावा मध्य प्रदेश ने भारिया पीवीटीजी और छत्तीसगढ़ सरकार ने कमार और बैगा पीवीटीजी को आवास अधिकार दिए हैं। गजपति जिले के 128 गांवों में साओरा जनजाति निवास करती है। एसटी और एससी विकास विभाग ने पहले ही देवगढ़ जिले में पौडी भुइयां, केंदुझर और जाजपुर जिलों में जुआंग और नुआपाड़ा जिले में चुकटिया भुंजिया के लिए आवास अधिकार की सुविधा प्रदान की है।