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रत्न भंडार के दरवाजों पर सोने की परत चढ़ाई जाएगी

  • पुरी जगन्नाथ मंदिर के लिए 413 करोड़ रुपये स्वीकृत किए

  • पुरी के गजपति महाराजा दिव्य सिंह देब की अध्यक्षता में हुई बैठक

  • इस साल मंदिर का कुल बजट लगभग 913 करोड़ रुपये होगा

  • श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर में एयर कंडीशनर लगाने का फैसला

  • जगन्नाथ संस्कृति का प्रसार करने एफएम रेडियो स्टेशन भी शुरू होगा

पुरी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति (एसजेटीएमसी) ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए पुरी जगन्नाथ मंदिर के वास्ते 413 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है। उसने जगन्नाथ संस्कृति के प्रसार के लिए एक एफएम रेडियो स्टेशन स्थापित करने का निर्णय भी लिया है। पुरी के गजपति महाराजा दिव्य सिंहदेव की अध्यक्षता में हुई एसजेटीएमसी की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने बताया कि एसजेटीएमसी ने जगन्नाथ संस्कृति का प्रसार करने के लिए एक एफएम रेडियो स्टेशन भी शुरू करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि एएसआई द्वारा आवश्यक मरम्मत कार्य पूरा हो जाने के बाद रत्न भंडार के आंतरिक और बाहरी दोनों कक्षों के दरवाजों पर सोने की परत चढ़ाई जाएगी।

मुख्य प्रशासक ने यहां संवाददाताओं को बताया कि एसजेटीएमसी ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 413 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है। यह 103 करोड़ रुपये अतिरिक्त बजट है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा मंदिर के लिए 500 करोड़ रुपये का योगदान देने के बाद इस साल मंदिर का बजट लगभग 913 करोड़ रुपये होगा। पाढ़ी ने रथयात्रा के समय भगवान बलभद्र की पहंडी के दौरान कुप्रबंधन के लिए खेद जताया। उन्होंने कहा कि रथयात्रा के दौरान भगवान बलभद्र की पहंदी में हुए हादसे के संबंध में की गई जांच ‘अधूरी’ पाई गई, इसलिए तीन सदस्यीय समिति को खास जिम्मेदारियां देते हुए एक और रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। पाढ़ी के अनुसार, मूर्ति की देखभाल करने वाले सेवक बड़ग्राहियों के नेतृत्व में एक ‘पहंडी समन्वय टीम’ (पीसीटी) स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि एसजेटीएमसी की बैठक में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर में एयर कंडीशनर लगाने और नाट्यमंडप के अंदर अलमारियों व संदूकों को खाली करने का फैसला भी लिया गया।

पाढ़ी ने बताया कि मंदिर में आने वाली महिलाओं, बच्चों, दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए समर्पित कतारें बनाने का भी निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि श्रद्धालु देवी-देवता के दर्शन अच्छे से कर सकें, इसके लिए मार्ग को ऊंचा किया जाएगा।

पाढ़ी ने यह भी बताया कि सुचारू रूप से अनुष्ठान कराने के लिए हर महीने एक ‘नीति’ उप-समिति की बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि मंदिर के सभी रिकॉर्ड डिजिटल किए जाएंगे।

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