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ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करेगा जनजातीय पुस्तकालय और संग्रहालय

  • कुलपति प्रो चक्रधर त्रिपाठी ने की घोषणा

  • सीयूओ ने मनाया अपना 16वां स्थापना दिवस

कोरापुट। ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूओ) ने आज अपने मुख्य परिसर, सुनाबेड़ा में अपना 16वां स्थापना दिवस मनाया। भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संदेश के माध्यम से विश्वविद्यालय के सभी सदस्यों को बधाई दी। कई अन्य विशिष्ट व्यक्तियों ने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं, जिनमें ओडिशा के माननीय राज्यपाल श्री रघुबर दास, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार शामिल हैं। विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, प्रो चक्रधर त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय ध्वज फहराया और स्थापना दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व डीजीपी, आईपीएस (सेवानिवृत्त) प्रो बीएनरमेश उपस्थित थे और उन्होंने स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में नाल्को, दामनजोड़ी के कार्यकारी निदेशक निरंजन सामल, विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव प्रो नरसिंह चरण पंडा और कार्यक्रम के समन्वयक सह जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण स्कूल के डीन प्रो शरत कुमार पलिता उपस्थित रहे। अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो चक्रधर त्रिपाठी ने 15 वर्षों तक विश्वविद्यालय के विकास में समर्थन देने के लिए सभी हितधारकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदाय और समाज के सहयोग से सीयूओ आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय ने बहुत कुछ हासिल किया है और भविष्य में और भी बहुत कुछ हासिल करना है। उन्होंने विश्वविद्यालय के सहयोग से इलाके के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। भविष्य में विश्वविद्यालय आदिवासी संस्कृति पर ज्ञान और बुद्धिमता प्रदान करने के लिए एक आदिवासी संग्रहालय और आदिवासी पुस्तकालय खोलने का प्रयास करेगा। इसके अलावा विश्वविद्यालय इको टूरिज्म के जरिए आदिवासी युवाओं को रोजगार देने की पहल करेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने कुवी और देसिया भाषा में प्राइमर प्रकाशित करके स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने के लिए पूर्व में ही पहल की है और भविष्य में इस तरह के और प्रयास किए जाएंगे। स्थानीय लोगों में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने हिंदी साक्षरता अभियान शुरू किया है, जिसके माध्यम से स्थानीय लोग हिंदी सीख सकते हैं और व्यवसाय के लिए राज्य से बाहर जा सकते हैं। विश्वविद्यालय जल्द ही ओडिया साक्षरता अभियान भी शुरू करेगा। देश भर में ओड़िया साहित्य को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय फकीर मोहन सेनापति, गोपबंधु दास, भीमा भोई, मधुसूदन दास और अन्य जैसे प्रख्यात लेखकों के साहित्य का अनुवाद करने की पहल करेगा। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय ने गंगाधर मेहर की साहित्यिक कृतियों का ओडिया से हिंदी में अनुवाद करने के लिए जीएम विश्वविद्यालय, संबलपुर के साथ गठजोड़ किया है। विश्वविद्यालय के छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली के बारे में अधिक जानने के लिए जागरूक किया जाएगा, जिसके लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने के लिए प्रत्येक कार्यक्रम के पाठ्यक्रम में एक पेपर अनिवार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शोध को बढ़ावा देने के लिए सभी विद्वानों को प्रयोगशालाओं और क्षेत्रों में शोध करने की सलाह दी जाती है, न कि केवल सीमित दीवारों में। उन्होंने वनस्पति विज्ञान और प्राणि विज्ञान में दो नए स्नातकोत्तर कार्यक्रम खोलने की अनुमति देने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान का आभार व्यक्त किया। प्रो बीएनरमेश ने स्थापना दिवस पर ‘संस्थाएं, शासन और उत्कृष्टता: भारत-2047 में और इसके लिए युवाओं की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से भारत दुनिया का सबसे मजबूत देश था। हमारे पास अग्रणी विश्वविद्यालय थे जो दुनिया को शिक्षा प्रदान करते थे। अब स्थिति बदल गई है, लेकिन हमें एकीकृत भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुरानी शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करना होगा। आजादी से पहले हमारे पास महान दार्शनिक और विद्वान थे जो संस्थानों की तरह थे। भारत को आजादी मिलने के बाद कई आईआईटी, आईआईएम और अन्य संस्थान खुले और समाज को शिक्षा प्रदान की। विश्वविद्यालय भी शिक्षा का महत्वपूर्ण मंदिर हैं। एक संस्थान का निर्माण महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उस संस्थान से एक नेतृत्वकर्ता का निर्माण करना महत्वपूर्ण है जो विकसित भारत का नेतृत्व करेगा। भविष्य के भारत के लिए शैक्षणिक संस्थानों को अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण पहलू हैं ग्राहकों के लिए मूल्यवर्धन, टिकाऊ भविष्य, क्षमता में वृद्धि, नवाचार, दूरदर्शी नेतृत्व और प्रतिभा प्रबंधन। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सीयूओ ओडिशा अन्य संस्थानों को बेहतर भविष्य के लिए नेतृत्व करेगा। श्री सामल ने विश्वविद्यालय समुदाय को बधाई दी और आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय और नाल्को भविष्य में क्षेत्र में शैक्षणिक और सामाजिक विकास के लिए मिलकर काम करेंगे। प्रो एनसी पंडा ने स्वागत भाषण दिया और प्रो एसकेपलिता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य लोगों में प्रख्यात भूदान कार्यकर्ता श्री कृष्ण सिंह, ब्रिगेडियर प्रद्युम्न रथ, एनएडी के महाप्रबंधक श्री मनमोहन गोयल, सीयूओ के शैक्षणिक और प्रशासन के सलाहकार प्रो विभाष चंद्र झा, विश्वविद्यालय के सभी संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी, शोधकर्ता एवं छात्र शामिल थे। मंच कार्यक्रम का समन्वयन विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ सौरव गुप्ता और डॉ रविता पाठक ने किया।  इस अवसर पर कुलपति और मुख्य अतिथियों ने विश्वविद्यालय की स्मारिका ‘सीयूओ एट ए ग्लांस’, विश्वविद्यालय का समाचार पत्र ‘सीयूओ वार्ता’, विश्वविद्यालय का पॉडकास्ट ‘उत्कल वाणी’, ओड़िया विभाग का जर्नल ‘सबारी’ और ‘प्रयोग एवं सम्भावना’ पुस्तक सहित कई प्रकाशनों का लोकार्पण किया।

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