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मुझे विरासत में मिली है पदों की रिक्तियां – सुरेश पुजारी
भुवनेश्वर। राज्य में राजस्व विभाग में राजस्व निरीक्षकों व अमीनों के काफी पद रिक्त हैं। इस कारण आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही सरकार को भी अपने योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने में भारी समस्या आ रही है, लेकिन इन पदों की वैकेंसी के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमें विरासत में यह समस्या मिली है। धीरे-धीरे इन रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार प्रयास कर रही है।
आज विधानसभा में प्रश्नकाल में राज्य में राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षक व अमीनों के पदों के रिक्त होने संबंधित मूल सवाल व पूरक सवालों के उत्तर में राज्य के राजस्व व आपदा प्रशमन मंत्री सुरेश पुजारी ने यह बात कही।
पिछली सरकार ने पर्चे की तरह बाटें है जमीन के पट्टे
राजस्व मंत्री ने कहा कि किसी भी भूमिहीन व्यक्ति को जमीन का पट्टा प्रदान करने के लिए राजस्व विभाग को एक प्रक्रिया का पालन करना होता है। उसके बाद ही पट्टे दिये जा सकते हैं, लेकिन पिछली सरकार ने बेघरों को पट्टे देते समय किसी प्रकार की प्रक्रिया को नहीं अपनाया था। पिछली सरकार ने पट्टे को पर्चों की तरह बांटा था। आज मुझे ऐसे अनेक गरीब लोग मिलते हैं, जो सरकार द्वारा दिये गये पट्टे को लामिनेशन कर मुझे दिखाते हैं और कहते हैं कि हमारी जमीन कहां है। मैंने जब इस बारे में अधिकारियों से समीक्षा की, तो पता चला कि पिछली सरकार ने बिना कोई प्रक्रिया अपनाए पट्टों को पर्चों की तरह बांट दिया।
सभी बेघरों को मिलेगी जमीन
पुजारी ने कहा कि नई सरकार ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है। सरकार उन सभी लोगों को जमीन उपलब्ध कराएगी जिनके पास घर नहीं है। इसी प्रकार पिछली सरकार द्वारा जिन लोगों को बिना प्रक्रिया को अपनाये पट्टे दिये गये थे, उन सभी को भी जमीन दी जायेगी। ये मोदी की गारंटी है। इसी लक्ष्य को लेकर मोहन सरकार काम कर रही है।
पुजारी ने किया दिव्यशंकर पर कटाक्ष
इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान बीजद विधायक दिव्य शंकर मिश्र ने सेवानिवृत्त आरआई और अमीन की पुनर्नियुक्ति का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान भर्ती प्रक्रिया पूरी होने तक सेवानिवृत्त आरआई और अमीनों को फिर से काम पर रखा जाना चाहिए। मिश्र ने सरकार से इस पर विचार करने का अनुरोध किया।
इसके जवाब में सुरेश पुजारी ने कहा कि मुझे दुख है कि सभी विभागों के साथ समन्वय बनाने के लिए पूर्व की सरकारों के दौरान किसी प्रकार का प्रयास नहीं किया गया। यदि दिव्य शंकर मिश्र ने इस संबंध में कोई प्रस्ताव तब दिया होता जब वह मंत्री थे या जब उनकी पार्टी सरकार में थी, तो अतीत के इतने सारे बोझ मुझ पर नहीं आते।