भुवनेश्वर। साहित्यिक मंच अखिल भारतीय साहित्य परिषद, ओडिशा की ओर से स्थानीय इकाई-8 सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में एक दिवसीय युवा साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के आरंभ में गोपाल कृष्ण पाढ़ी द्वारा सरस्वती बंदना प्रस्तुत किया गया। परिषद के प्रधान डॉ अभय कुमार नायक की अध्यक्षता में सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध साहित्य प्राध्यापक शांतनु कुमार आचार्य ने सनातन हिंदू धर्म के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
अगले सत्र में ओड़िया साहित्य के प्रख्यात साहित्यकार वैष्णव चरण मोहंती ने युवा साहित्यकारों से आह्वान किया कि वे ओड़िया वर्णमाला, उसके उपयोग और ओड़िया वर्णमाला के बारे में भ्रम पैदा करने की साजिश से मुक्त होने के लिए खुद को प्रबुद्ध करने और अपनी भाषा को समृद्ध करने के लिए सावधान रहें।
अगले सत्र में परिषद के महासचिव डॉ संतोष कुमार महापात्र एवं अध्यापक अनुप कुमार मार्था ने “ओड़िया लोक नाटक: पाला” पर चर्चा की और कहा कि पाला ने भाषा के संरक्षण में एक सांस्कृतिक प्रहरी के रूप में काम किया है और समरसता स्थापित करने में मदद की है।
उसी प्रकार ओड़िया साहित्य में डॉ जगन्नाथ और शबरी नारायण के मुद्दे पर प्रदीप कुमार पंडा एवं डॉ अभय कुमार नायक ने विश्व संस्कृति और आदिवासी संस्कृति के साथ जगन्नाथ के संबंधों के बारे में बात की। कार्यक्रम में भाग लेने वाली युवा प्रतिभाओं ने अपने अपने शोध पत्रों के जरिये भाषा और अस्मिता को और अधिक समृद्ध कैसे बनाया जाए इस पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस कार्यक्रम में रामकृष्ण त्रिपाठी, गोपाल कृष्ण पाढ़ी, कालीकिंकर पटनायक, प्रकाश चंद्र पाणिग्राही, गिरिजा शंकर रथ, नारायण मावतलाल सहित राज्य के विभिन्न जिलों के 80 से अधिक युवा लेखकों ने भाग लिया। परिषद के संगठन संपादक नारायण नायक ने पूरे कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि संकाय सदस्य शुभस्मिता दाश, सौम्यजीत पंडा, डॉ निरोद कुमार मंत्री और डॉ रघुनाथ ओझा ने अलग-अलग सत्रों में बैठक का संचालन किया।