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कवियों ने वतन के प्रति जिम्मेदारियों एवं कर्तव्यों का कराया बोध

  • देश के शहीदों को उनकी शहादत को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित रही कविताएं

भुवनेश्वर। राष्ट्रीय कवि संगम की ओडिशा प्रांतीय इकाई के खुर्दा जिला द्वारा कवि सम्मेलन “एक शाम शहीदों के नाम” का सफल आयोजन विक्रमादित्य सिंह,  अध्यक्ष (राष्ट्रीय कवि संगम खुर्दा जिला) के नेतृत्व में भुवनेश्वर के प्रतिष्ठित उत्कल अनुज हिंदी पुस्तकालय में हुआ। सिंह ने इस ऐतिहासिक एवं सफ़ल कार्यक्रम को देश के शहीदों को उनकी शहादत को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित किया। कार्यक्रम की शुरुआत सदन की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता एवं हिंदी-संस्कृत के प्रकांड विद्वान अशोक पाण्डेय एवं मुख्य अतिथि नथमल चनानी को राष्ट्रीय कवि संगम की संयोजिका श्रीमति रितु महिपाल द्वारा पुष्प गुच्छ देकर किया गया। अध्यक्षीय संबोधन में पाण्डेय ने ओडिशा में हिंदी कविता की शुरुआत कैसे हुई,  इसका उत्तरोत्तर विकास कैसे हुआ एवं ओड़िया का पुरातन नाम क्या था,  ओडिशा नाम पड़ने से पहले कितने चरणों से गुजरना पड़ा, पर विस्तृत प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि नथमल चनानी ने अपने भाषण में कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम का मूल उद्देश्य “राष्ट्र सर्वोपरि” की पावन भावना को जन-जन तक पहुंचाना है एवं राष्ट्र जागरण धर्म हमारा के सिद्धांत को अंगीकार करना है। राष्ट्र के निर्माण में व्यक्ति विशेष का योगदान सुनिश्चित होना चाहिए।

ऐतिहासिक एवं भव्य कवि सम्मेलन में हिंदी एवं ओड़िया भाषी के लगभग 30 से अधिक कवि एवं कवयित्रियों ने कविता पाठ किया। देश प्रेम,  भारत माता,  वंदे उत्कल जननी,  ओड़िया अस्मिता एवं सम-सामयिक विषयों एवं शहीदों को समर्पित कविता पाठ ने पूरा समा बांधा साथ ही वतन के प्रति अपनी जिम्मेदारी एवं कर्तव्य का बोध कराया। उत्कल अनुज हिंदी पुस्तकालय के वरिष्ठ कवि किशन खंडेलवाल ने राष्ट्रीय ध्वज को सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि प्रत्येक दिन सम्मान करना चाहिए पर एक सुंदर कविता प्रस्तुत किए। वहीं मुरारी लाल लढ़ानिया ने अपने गजल से खुब वाह-वाही लूटी। राष्ट्रीय कवि संगम के मीडिया प्रभारी विनोद कुमार ने अपनी मधुर आवाज में लहर लहर लहराए तिरंगा कविता का बेहतरीन प्रस्तुति दिया। वहीं रितु महिपाल ने फौजी नामक शहीद सैनिकों पर सुंदर गीत प्रस्तुत किया। अन्य कवि एवं कवयित्रियों में श्रीमति पुष्पलता मिश्रा,  मंजुला त्रिपाठी,  सरोजनी मिश्रा,  सोनाली त्रिपाठी,  पवित्र मोहन बारिक,  जय श्री पटनायक,  निरंजन सामंतराय,  प्रभु चरण पति,  बीनापाणी मिश्रा,  संजुक्ता मोहंती,  इतिश्री पति,  बद्री नारायण पंजियार एवं रश्मि कर ने अपनी प्रस्तुति से राष्ट्र के प्रति,  शहीदों के प्रति संवेदना व्यक्त किए और कवि सम्मेलन का विषय “एक शाम शहीदों के नाम” को पूर्णतः चरितार्थ किए।

अंतिम कवि के रूप में मंच संचालक श्री विक्रमादित्य सिंह ने “हे भारत के शूरवीर सुनो” एवं कैसे कहुं मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूं…; वतन की मिट्टी तुझे मैं मां कहता हूं…; के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति राष्ट्र को समर्पित किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्रीमति रितु महिपाल ने दिया।

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