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ओडिशा में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को मिलेगी पेंशन

  • प्रदेशस्तरीय क्रांति दिवस 2024 समारोह में मुख्यमंत्री मोहन माझी ने की घोषणा

  • कहा- कुटुंब योजना के तहत सेनानियों के परिवारों को कुटुंब पेंशन देने पर हो रहा विचार

  • स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को मिलेगी पहचान और उचित सम्मान

भुवनेश्वर। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने शुक्रवार को घोषणा की कि राज्य सरकार जल्द ही ‘कुटुंब’ योजना के तहत स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को पेंशन प्रदान करेगी। यह योजना उन परिवारों को आर्थिक सहायता देने के लिए शुरू की जा रही है, जिनके पूर्वजों ने ब्रिटिश शासन से भारत को मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया था। क्रांति दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने इस योजना की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकारते हुए कहा कि सरकार इसके कार्यान्वयन के लिए रूपरेखा तैयार कर रही है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की सभी सफलताओं और सभी खुशियों के पीछे हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों का सर्वोच्च त्याग और बलिदान है। इसलिए राज्य सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की पहचान कर उन्हें उचित सम्मान देगी।

मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने आज राज्य स्वतंत्रता सेनानी संघ द्वारा आयोजित क्रांति दिवस कार्यक्रम में भाग लेते हुए ये घोषणाएं की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को कुटुंब योजना के तहत पेंशन देने पर भी विचार कर रही है।

शहीद सेनानियों को श्रद्धांजलि दी

इस अवसर पर मुख्यमंत्री माझी ने सबसे पहले शहीद स्तंभ पर पुष्प अर्पित कर शहीद सेनानियों को श्रद्धांजलि दी और उपस्थित स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारत के संघर्ष के इतिहास में एक पवित्र दिन है। अगस्त क्रांति ने देश के इतिहास की दिशा बदल दी और स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। आज का दिन देश के लिए अनंत बलिदान देने वाले सेनानियों के संघर्ष और बलिदान को याद करने और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का दिन है। नौ अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन पूरे भारत में फैल गया। भारत छोड़ो आंदोलन वास्तव में एक अखिल भारतीय आंदोलन था। दिल्ली से लेकर देहात तक अमीर से लेकर गरीब तक सभी ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया।

ओडिशा में गांव से शहर तक संघर्ष

मोहन ने कहा कि इस आंदोलन का प्रभाव ओडिशा में भी व्यापक था। कटक से कोरापुट तक, बालेश्वर से बरगढ़ तक, इस आंदोलन ने ओडिशा के गांव से लेकर शहर तक में संघर्ष की आग जला दी। नवकृष्ण चौधरी, हरेकृष्ण महताब, विश्वनाथ दास, आचार्य हरिहर और कई अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। लक्ष्मण नायक के नेतृत्व में कोरापुट में जोरदार आंदोलन हुआ। उन्होंने कहा कि अंत में लक्ष्मण नायक को अंतिम बलिदान देना पड़ा।

उभरता भारत महापुरुषों के बलिदान का परिणाम

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह संघर्ष, यह बलिदान आज के समाज में वास्तव में सोचना भी मुश्किल है। आज का उभरता हुआ भारत उन्हीं महापुरुषों के बलिदान का परिणाम है। आज यदि हम अपने व्यक्तिगत या सामूहिक क्षेत्र में कुछ सफलता प्राप्त कर रहे हैं, प्रसन्न हैं या आनंदित हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि हमारी सफलता, खुशी, आनंद के पीछे हमारे सेनानियों का महान बलिदान है। अपने भाषण में मुख्यमंत्री शहीद ने माधो सिंह के संघर्ष की कहानी सुनाई।

ओडिशा में भी एक क्रांति की शुरुआत

उन्होंने कहा कि आज ओडिशा में भी एक क्रांति की शुरुआत होने जा रही है। ओड़िया अस्मिता आज हमारे दिमाग पर छाई हुई है। ओडिशावासियों ने अस्मिता के सहारे विकास के पथ पर आगे बढ़ने की एक नई यात्रा शुरू की है।

उन्होंने कहा कि 2036 में विशेष ओडिशा की शताब्दी मनाई जायेगी। 2047 में आजादी की शताब्दी भी मनाई जाएगी। ‘विकसित भारत’ और ‘विकसित ओडिशा’ हमारा लक्ष्य है। हम इसके लिए एक रोडमैप भी तैयार कर रहे हैं। विकसित ओडिशा के लिए हमारी यात्रा ओडिशा के इतिहास में ‘विकास का एक नया युग’ लाएगी।

कार्यक्रम में कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि आजादी का मार्ग तब प्रशस्त हुआ, जब पूरा देश एक साथ आया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ा। जब अन्यायपूर्ण अत्याचार बढ़ता है तो क्रांति शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि वह सिलसिला आज भी जारी है। खेल एवं ओड़िया भाषा, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री सूर्यबंशी सूरज ने कहा कि शहीद स्तंभ आज भी देशवासियों को प्रेरणा दे रहा है।

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