- कटक मारवाड़ी समाज का संक्षिप्त इतिहास साल 2009 से 2015 “आँखियों के झरोखों से”
साल 2009 में कटक मारवाड़ी समुदाय ने चिन्तन किया कि एक ऐसी संस्था का गठन किया जाये, जो सम्पूर्ण मारवाड़ी समुदाय की एक प्रतिनिधि सभा हो, जो मारवाड़ी समुदाय की एकता और अखण्डता की मिशाल हो, जहाँ सामाजिक समरसता की अविरल धारा प्रवाहमान हो और आपसी सामंजस्य की मेरूदण्ड बने।
इन्हीं भावनाओं को आकार स्वरूप प्रदान करने के लिए समाज ने अपने तथााकथित प्रबुद्धजनों को इसका दायित्व सौंपा। लेकिन, हम सभी ने देखा है कि इन्हीं प्रबुद्धजनों ने संस्था का किस प्रकार उत्थान किया। अफसोस कि छह साल के इनके कार्यकाल ने समाज को केवल गाना और खाना तक सिमित करके रख दिया। छह साल के इनके कार्यकाल में चुनावी प्रक्रिया तक का पालन नहीं किया गया और तो और संस्था के संविधान का निर्माण भी नहीं हो पाया, तब समाज में परिवर्त्तन की लहर उठी और मंच, माला, माईक के आसक्त इन प्रबुद्धजनों को समाज ने नकार दिया और साल 2015 में चुनावी प्रक्रिया के तहत बदलाव की नींव रखी गई।
साल 2015 से 2019
यह कार्यकाल कई मायने में परिवर्त्तशील रहा। लोगों में समाज के प्रति जागरूकता बढ़ी। नए संविधान की स्थापना की गई। कार्यशैली में पारदर्शिता रखी गई, विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक आयोजनों को किया गया, जिसके कारण लोगों में विश्वास का माहौल बना और जनहित कार्य में तेजी आई।
साल 2019 से 2024
साल 2019 में पुनः चुनावी प्रक्रिया सम्पादित हुई। एक नई सशक्त टीम का आगमन हुआ। मुखिया कमजोर ही सही, लेकिन टीम मजबूत थी। इसलिए इस कार्यकाल में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। यह वह कार्यकाल था, जब कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी ने सम्पूर्ण संसार को उथल-पुथल कर दिया था और संकट के उस काल में मारवाड़ी समाज जैसी संस्थाओं का दायित्व बहुत महत्वपूर्ण था।
अपने जीवन-मरण के प्रश्न से जुझता समाज, मारवाड़ी समाज की तरफआशा भरी नजरों से देख रहा था। उन्हें समाज से बहुत आशा थी और यह विश्वास भी था कि संकट के इस दौर में संस्था उनकी मददगार बनेगी। यह समय संस्था के कर्मठ और जुझारु कार्यकर्ताओं के लिए अग्नि परीक्षा का समय था और सात्विक गौरव के साथ हमारे कार्यकत्ताओं ने इस चुनौती को स्वीकार किया और जरुरतमदों के समक्ष हमदर्द बनकर खड़े हो गए। संकट के उस दौर में समाज के कार्यकत्र्ताओं का योगदान उल्लखनीय और यादगार साबित हुआ, जिसकी प्रशंसा समाज ही नहीं सर्वत्र हुई। पूरे कटक शहर में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में कटक मारवाड़ी समाज की आन-वान-शान बढ़ी और प्रत्येक कर्मठ कार्यकत्ती ने तन-मन-धन से समाज को सींचा।
इस कार्यकाल को सफल बनाने में संस्था के कोषाध्यक्ष (श्री सुरेश भरालावाला), सर्वश्रेष्ठ कर्मठ श्री शरत सांगनेरिया एवं असंख्य कर्मठ कार्यकत्ती का वह नारा कारगर साबीत हुआ, जब उन्होंने कहा था सबकी साझेदारी – सबकी भागेदारी। इसी बुलंद नारे के तहत कर्मठ सचिव हेमंत अग्रवाल की दुरदर्शी सोच के तहत विभिन्न जनप्रिय कार्य सम्पादित किए गए जिनमें
१. मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करना
२. घर-घर सार-सम्भाल
३. भरण-पोषण योजना
४. आत्मनिर्भर-स्वावलबंन योजना
५. स्वास्थ्य परीक्षण – स्वस्थ समाज
६. सकारात्मक सोच – समाज का विकास
७. महिला सशक्तिकरण
इनके अलावा भी अनेकानेक सफल सामाजिक एवं धार्मिक आयोजन इसी कार्यकाल में किए गए।
अबुझ पहेली
यही सफल आयोजन कुछ लोगों को नागवार लग रहे थे। नए-नए कार्यकत्ताओं द्वारा इतने सुन्दर और सफल आयोजन और उनके सफलता की प्रसंशा से इन तथाकथित प्रबुद्धजनों के कलेजे में आग लग गई। उन्हें अपना अस्तित्व संकट में नजर आने लग गया। मंच, माला, माइक का उनका सपना चकमाचूर होता दिखाई देने लग गया, तब पुनः इन्होंने अपना कुत्सित प्रयास प्रारंभ कर दिए, येन-तेन प्रकारेण संस्था पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए मर्यादा को त्याग, अनैतिक आचरण का सहारा भी लेने लगे। इन्होंने तय किया कि संस्था का अस्तित्व ही समाप्त कर देंगे। इन्होंने अपना कुचक्र चलाया। कटक मारवाड़ी समाज के अकर्मण्य अध्यक्ष एवं उनके मुख्य सलाहाकार ने मारवाड़ी समाज के धार्मिक और सामाजिक कार्यों में नगन्य योगदान करने वाले महानुभवों को लेकर एक वातानुकुलित होटल के बन्द कमरे में उन्हें अर्धसत्य वाली कहानी सुनाई। उन्हें मिथ्या भ्रमजाल में फंसाया और सब्ज बाग दिखाया कि मारवाड़ी समाज नामक संस्था को भंग करके वे पुण्य का काम कर रहे हैं। मारवाड़ी समाज की गतिविधियों से अनभिज्ञ कुछ सज्जन पुरुष भी इस कमरे में थे, जो इनके कुचक्र से अनजान थे। वे इनके मायाजाल में फंस गए और एक अनैतिक, अनावश्यक, असामाजिक, असांविधानीक गैरकानूनी और अनावश्यक कदम उठाते हुए एक अलोकतांत्रिक काम कर बैठे, जिसकी संपूर्ण मारवाड़ी समाज ने भर्त्सना और निंदा की। अनजाने में ही सही कुछ सज्जन पुरुष भी इस समाज द्रोही कार्य के सहभागी बन गए और जनसमाज के रोष का कारण बने।
लोगों की भर्त्सना और निंदा से हताश, निराश और एकांकी बन चुके अध्यक्ष महोदय, उनके मुख्य सलाहाकार और उनके कुत्सित प्रयासों के चंद साझीदारों के पास अब कोई मार्ग नहीं बचा था, समाज को मुंह दिखलाने लायक रहे नहीं, संस्था की कार्यकारिणी साथ नहीं, सचिव, कोषाध्यक्ष तक इनके कलंकित कारनामों के कारण साथ नहीं थे, ऐसे में इन्होंने एक और असंविधानिक कार्य को अंजाम दिया।
अचानक १८.७.२४ को बिना कार्यसमिति में प्रस्ताव पास किए घोषणा कर दी की १९.७.२४ को साधारण सभा होगी, जिसमें संविधान में संशोधन किए जाएंगे, चुनाव समिति बनाई जाएगी और चुनाव किया जाएगा। हास्यास्पद विषय है कि चार वर्षों से अध्यक्ष पद पर आसीन अध्यक्ष महोदय एवं उनके विवेक शून्य मुख्य सलाहाकार ने इतना चिन्तन भी नहीं किया कि संस्था का कार्य संविधान अनुरूप होता है और संविधान संशोधन साधारण सभा के लिए एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसका स्पष्ट उल्लेख सविंधान में किया गया है।
सबके अपने अपने स्वार्थ थे
सबके अपने अपने स्वार्थ थे, अपनी-अपनी आशा और आकांक्षा भी, लेकिन इनमें जिसका सबसे ज्यादा नुकसान हुआ वह था मारवाड़ी समाज और उसके साधारण सदस्य। वो नहीं समझ सका कि ७००० से ज्यादा सदस्यों वाले एक पंजीकृत संस्था को कुछ निहित स्वार्थो लोगों के हाथों की काठपुतली क्यों बनाया गया। क्यों आम जन की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया। क्यों चंद लोगों ने बंद कमरे में बैठकर संस्था को तीलाजंलि देने का दुःशाहस किया, उनकी इतनी हिम्मत कैसे हो गई की वो ७००० से ज्यादा लोगों की भावनाओं का माखौल उड़ा सकें।
आज समय ने हमें ललकारा है
आज समय ने हमें ललकारा है, और हमें इसका जवाब देना होगा, ताकि भविष्य में कोई पैसा दुःशाहस करने की सोच भी ना पाए। ऐसे तथाकथित स्वयंभु प्रबुद्धजन और उनकी कुंठित, कुत्सित मानसिकता को हमें दिखलाना होगा कि हम लोकतांत्रिक स्वस्थ समाज के सदस्य हैं, किसी के हाथों की काठपुतली नहीं, जिसकी डोर किसी और के हाथों में हो और वो हमें जैसे चाहे नचा सकें।
समाज को भंग करने का प्रयास
कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष श्री किशन मोदी का अपने कार्यकाल के आखरी पड़ावों में मुख्य सलाहाकार के संग चक्रव्यूह रचकर समाज को भंग करने का प्रयास करना, असंवैधानिक कार्य करना, संविधान के प्रारूपों की धज्जियां उड़ाना आदि कार्य निंदनीय एवं भर्त्सना करने लायक है।
समाज के साथ धोखेवाजी, बेइमानी, छल-कपट अस्वीकार्य है। कर्मठ कार्यकर्त्ता के साथ भी घोर अन्याय और अपमानीत करने जैसा आचरण निंदनीय हैं। इस तरह के आचरणवाले व्यक्तित्व पर समाज किसी भी सामाजिक, धार्मिक कार्यों में उनकी भागिदारी पर भरोसा नहीं कर सकता। कटक मारवाड़ी समाज हमारी आन-वान और हमारी शान है। समाज के कर्मठ सदस्यों ने तन-मन और धन से समाज को सींचा है एवं समाज के धार्मिक, सामाजिक एवं जनहित कार्यों मे सर्वदा सक्रिय भूमिका निभाई है।
कटक मारवाड़ी समाज के सचिव हेमन्त अग्रवाल तथा कोषाध्यक्ष सुरेश भरालावाला ने यह जानकारी देते हुए अपील की कि समाज के सभी सदस्य विवेकशील एवं जागृत रहें।