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याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति के चार साल पहले हुई किसी भी घटना के संबंध में कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती
कटक। ओडिशा उच्च न्यायालय ने ओडिशा सरकार के ऊर्जा विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता नलिनीकांत महापात्र के खिलाफ 1987 में टावरों के निर्माण में पर्यवेक्षण की कमी से संबंधित कदाचार के लिए विभागीय कार्यवाही को रद्द कर दिया है।
न्यायमूर्ति बिरजा प्रसन्न सतपथी की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता 31 मई, 2011 को सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर सेवा से सेवानिवृत्त हो गया और संबंधित कार्यवाही 26 जुलाई, 2018 को शुरू की गई थी। न्यायमूर्ति सतपथी ने कहा कि नियम 7 (2) (बी) (ii) के तहत निहित प्रावधानों को देखने के बाद यह अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति के चार साल पहले हुई किसी भी घटना के संबंध में कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।
महापात्र ने राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एसएटी) में कार्यवाही को चुनौती दी थी और 2018 में कार्यवाही पर अंतरिम स्थगन आदेश जारी किया गया था। 2021 में एसएटी को समाप्त करने के बाद लंबित मामले को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया। महापात्र के वकील ने तर्क दिया कि कार्यवाही ने ओसीएस (पेंशन) नियम, 1992 के नियम 7 (2) (बी) के तहत निहित स्पष्ट प्रावधानों का उल्लंघन किया है। नियम में प्रावधान में कहा गया है कि अनुशासनात्मक कार्यवाही किसी भी घटना के संबंध में नहीं होगी जो मामले की ऐसी संस्था से चार साल से अधिक पहले हुई हो।