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इंदौर से पधारे हिन्दी कवि गिरेंद्र भदोरिया के वीर रस कविता पाठ से मंत्रमुग्ध हुए श्रोता
भुवनेश्वर। स्थानीय उत्कल अनुज हिन्दी वाचनालय में वाचनालय के संस्थापक तथा मुख्य संरक्षक सुभाष चन्द्र भुरा की अध्यक्षता में गुरु पूर्णिमा मनाया गया। भुरा ने इस अवसर पर इंदौर से सपत्नीक पधारे हिन्दी कवि वीरेंद्र भदोरिया तथा वाचनालय के संगठन सचिव अशोक पाण्डेय को सच्चे गुरु की भूमिका निभानेवाले के रुप में अपनी ओर से सम्मानित किया। भुरा ने बताया कि आज भी व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय उत्थान के लिए सद्गुरु के सद्विचारों का श्रवण करना तथा उन्हें अमल में लाने की आवश्यकता है। अशोक पाण्डेय ने कबीरदास की एक साखी (गुरु गोविंद दोऊ खड़े…) के माध्यम से गुरु के महत्त्व को रेखांकित किया, जबकि समारोह के मुख्य अतिथि प्राण ने भी उनके विचारों का समर्थन किया। आमंत्रित कवि का संक्षिप्त परिचय दिया वाचनालय के सचिव किशन खण्डेलवाल ने। उन्होंने बताया कि उनके मित्र राष्ट्रीय कवि प्राण संस्कृत साहित्य के भी प्रकाण्ड विद्वान हैं जो इंदौर से सपत्नीक यहां पधारे हैं। उन्होंने बताया कि शिवमंगल सिंह सुमन ने ही गिरेंद्र भदोरिया को “प्राण” उपाधि से अलंकृत किया था। तभी से इनके नाम के अंत में प्राण लग गया है। बतौर समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में हिन्दी कवि प्राण ने अपना परिचय अपनी वीर रस की कविता के सस्वर और ओजस्वी गायन से दिया। उन्होंने अपनी अनेक कविताएं पढ़ीं। उपस्थित श्रोताओं ने उनकी कविताओं का भरपूर रसास्वादन किया।अवसर पर रामकिशोर शर्मा तथा किशन खण्डेलवाल सहित अनेक स्थानीय कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का सस्वर वाचन किया। आयोजन में श्रीमती अंजना भुरा तथा अधिक संख्या में महिलाओं की उपस्थिति थी।