-
संविधान की धज्जियां उड़ाने और एक पक्ष को लाभ पहुंचाने के प्रयास के लगे आरोप
-
चुनाव कमेटी की जगह कार्यकारिणी की बैठक में हुआ चुनाव तिथि की घोषणा
-
सीएमएस का संविधान के अनुसार चुनाव कमेटी को करनी चाहिए मतदान के दिन की घोषणा
कटक। कटक मारवाड़ी समाज के चुनाव को लेकर दुबारा गठित चुनाव कमेटी की काबिलयत व मंशा पर सवाल उठाने लगे हैं। कहा जा रहा है कि चुनाव कमेटी की घोषणा के साथ-साथ शांति कमेटी (आम सभा) की बैठक में ही चुनाव कराने की तिथि की घोषणा कर दी गयी, जबकि कटक मारवाड़ी समाज का संविधान इसके अनुमति नहीं देता है।
सूत्रों ने बताया कि कटक मारवाड़ी समाज के संविधान के अनुसार, कार्यकारिणी दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से कम से कम 45 दिन पहले चुनाव की प्रक्रिया की घोषणा करेगी और पांच सदस्यीय चुनाव समिति का गठन करेगी। पदाधिकारी आम सभा की बैठक में चुनाव की घोषणा करते हैं, चुनाव समिति कार्यभार संभाल लेती है और उसके बाद कार्यकारिणी समिति की शक्तियां समाप्त हो जाती हैं।
इसके बाद चुनाव समिति अपनी पहली बैठक में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि और समय, नाम वापसी की अंतिम तिथि और समय तथा चुनाव की तिथि (अधिमानतः अवकाश के दिन) प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित करके तय करेगी और अधिसूचित करेगी।
लेकिन सवाल उठ रहा है कि इस नियमों का उल्लंघन इस बार के चुनाव में खुलेआम हो रहा है, क्योंकि पहली कार्यकारिणी की बैठक के फैसलों को रद्द कर दिया गया, तो चुनाव की घोषणा मतदान की तिथि से 45 दिन पहले होना चाहिए। इसके बाद चुनाव अधिकारियों की बैठकों में चुनाव कराने की तिथि व अन्य दिनों की घोषणा की जाती है, लेकिन शांति कमेटी (आम सभा) की बैठक में चुनाव की तिथि घोषित कर दी।
चुनाव कमेटी पर पक्षपात का आरोप
सूत्रों ने आरोप लगाया है कि कुर्सी के लालच में चुनाव कमेटी के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। उन्होंने संविधान के अनुसार, चुनाव तिथि की घोषणा नहीं की और शांति कमेटी (आम सभा) की बैठक में प्रस्तावित तिथि को ही जारी रखा।
सूत्रों ने कहा कि किसी एक पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए आनन-फानन में चुनाव कराने की कोशिश चुनाव कमेटी कर रही है।
गैरकार्य दिवस के दिन मतदान कराने से क्यों भाग रही है कमेटी
सूत्रों ने चुनाव कमेटी की मंशा पर सवाल दागते कहा कि चुनाव कमेटी कटक मारवाड़ी कमेटी के संविधान के मुताबिक छुट्टी के दिन मतदान क्यों नहीं कराना चाहती है। सभी को पता है कि मारवाड़ी समाज का हर व्यक्ति किसी न किसी व्यापार से जुड़ा हुआ है। ऐसी स्थिति में कार्यदिवस में चुनाव कराने का औचित्य समझ से परे है।
प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार का मौका नहीं
लंबे विवादों के बाद इस बार के चुनाव को लेकर जल्दीबाजी करने पर भी सवाल उठने लगे हैं। लोगों ने कहा कि इस दौरान चुनाव की दौड़ में शामिल होने वाले अप्रत्याशित उम्मीदवारों को प्रचार-प्रसार के लिए मौका नहीं मिल पायेगा, जबकि एक उम्मीदवार को लेकर इतना बवाल मचा था।
चुनाव प्रक्रिया की जानकारी बहुतों को नहीं
कटक में बात करने पर पता चला है कि बहुत लोगों को चुनाव से संबंधित प्रक्रिया की जानकारी बहुतों को नहीं है। लोगों ने कहा कि पहले चुनाव के दौरान सभी मीडिया के माध्यम से जानकारियां दी जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है।
भारी नामांकन शुल्क व जमानत पर सवाल
खबर है कि चुनाव कमेटी ने नामांकन पत्रों की कीमत एक हजार रुपये तथा सिक्योरिटी यानि जमानत राशि 10 हजार रुपये निर्धारित की है। सूत्रों ने आरोप लगाया है कि इसके जरिए गरीब उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
इस खबर को भी पढ़ें-नहीं बदलेगा बीजू पटनायक खेल पुरस्कार का नाम