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ओडिशा के लिए 14 जुलाई व रविवार एक ऐतिहासिक तारीख व दिन बना
भुवनेश्वर। आखिरकार 46 साल बाद रविवार को पुरी स्थित महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मंदिर के रत्न भंडार को उसमें रखे गये कीमती गहनों व सामानों की बनाने सूची और इसकी संरचना की मरम्मत के लिए फिर से खोला गया। रत्न भंडार को रविवार को दोपहर 1:28 बजे शुभ मुहूर्त पर खोला गया। इसके साथ ही रविवार का दिन तथा 14 जुलाई ओडिशा के लिए एक ऐतिहासिक दिन व तारीख बन गयी है।
बताया गया है कि पूर्व निर्धारित समय के अनुसार आज दोपहर 1.28 पर चाबी से ताला के नहीं खुलने के कारण इसे कटर से काट कर खोला गया। भीतर के रत्नभंडार के आभूषणों को रखे गये बक्सों को केवल देखा गया, लेकिन उनमें क्या क्या हैं यह नहीं देख पाये। रत्न भंडार से वापस आने के बाद श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी।
पहले बाहरी रत्न भंडार खुला
उन्होंने बताया कि महाप्रभु श्री जगन्नाथ का रत्न भंडार खोलने के लिए गठित विशेष टीम ने पहले बाहरी रत्न भंडार को खोला है। इसके बाद बाहर के रत्न भंडार में रखे गये आभूषणों को स्थानांतरित किया गया है। इन्हें अस्थायी स्ट्रांग रुम मे स्थानांतरित किया गया।
आभूषणों को नहीं देखा गया
बाहरी रत्न भंडार के खोले जाने के दो घंटे बाद भीतर के रत्नभंडार को खोला गया। उन्होंने बताया कि अंदर के भंडार के आभूषणों को हमने नहीं खोला। बाहरी भंडार के आभूषणों के स्थानांतरण का काममें काफी समय लगा।
बाहुड़ा यात्रा व सुनावेश के बाद फिर तिथि होगी निर्धारित
पाढ़ी ने कहा कि सोमवार को भगवान जगन्नाथजी की बाहुड़ा यात्रा है। इस कारण अनेक अनुष्ठान होने हैं। इसे ध्यान में रखकर अंदर के आभूषणों को आज स्थानांतरित नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि बाहुड़ा यात्रा व सुनावेश समाप्त होने के बाद इसके लिए एक और तिथि का निर्धारण किया जएगा। निर्धारित तिथि पर भीतरी भंडार को खोला जाएगा तथा आभूषणों को खटशेज घर को स्थानांतरित किया जाएगा। आभूषणों के स्थानांतरण के बाद एएसआई रत्न भंडार का रख रखाव का कार्य करेगी।
एसओपी के आधार पर हुआ कार्य
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्धारित एसओपी के आधार पर हमने कार्य किया है। 11 सदस्यीय कमेटी ने रत्नभंडार को देखा है। रत्न भंडार में खजाने को खोलने की निगरानी के लिए निरीक्षण समिति के दो सदस्यों सहित 11 सदस्यों ने प्रवेश किया। मंदिर के रत्न भंडार को फिर से खोलने के लिए प्रवेश करने वाले 11 लोगों में उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बिश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासक (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी, एएसआई अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के राजा गजपति महाराजा के प्रतिनिधि शामिल हैं। मुख्य प्रशासक के नेतृत्व में एसजेटीए इस ऑपरेशन की देखरेख कर रहा है।
ट्रेजरी से आयी चाबी काम नहीं की
पाढ़ी ने बताया कि बाहरी रत्न भंडार के आभूषणों को अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद हम भीतर के रत्नभंडार के दरवाजे पर पहुंचे। वहां तीन ताले थे। ट्रेजरी से जो चाबी आयी थी, उससे ताले नहीं खुले।
मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन ताले कटे
उन्होंने बताया कि एसओपी के अनुसार मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन तालाओं को काटा गया। हमने सब देखा। वहां बक्से व आलमारियों में आभूषण हैं, लेकिन समय की कमी के कारण आज आभूषणों को स्थानांतरित नहीं किया जा सका। इसके लिए एक दिन का समय चाहिए। सरकार से इसके लिए अनुरोध किया जाएगा। रत्न भंडार स्थानांतरित होने के बाद गिनती होगी।
कीमती सामानों की सूची तुरंत नहीं बनेगी
मंदिर में प्रवेश से पहले श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने कहा था कि कीमती सामानों की सूची तुरंत नहीं बनाई जाएगी। कोषागार के भीतरी और बाहरी कक्षों में रखे गए आभूषण और अन्य कीमती सामान को लकड़ी के बक्सों में अस्थायी स्ट्रांग रूम में ले जाया जाएगा। अस्थायी स्ट्रांग रूम की पहचान कर ली गई है और सीसीटीवी कैमरे लगाने समेत सभी जरूरी इंतजाम सुनिश्चित कर लिए गए हैं।
सूची के लिए विशेषज्ञों की होगी नियुक्ति
पाढ़ी ने यह भी कहा कि कीमती आभूषणों की सूची बनाने का काम आज शुरू नहीं होगा। यह काम सरकार से मूल्यांकनकर्ताओं, सुनारों और अन्य विशेषज्ञों की नियुक्ति पर मंजूरी मिलने के बाद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता रत्न भंडार की संरचना की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगी। मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद कीमती सामान वापस लाया जाएगा और फिर कीमती आभूषणों की सूची बनाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा।
अधिकारियों ने पहले पूजा की
बताया गया है कि रत्न भंडार खोलने से पहले आज सुबह न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ और अरविंद पाढ़ी ने गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ और बलभद्र व देवी सुभद्रा के समक्ष कार्यों के सुचारू रूप से पूरा होने के लिए प्रार्थना की।
मुख्यमंत्री ने की सफलता की कामना
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि जय जगन्नाथ। हे महाप्रभु। आपकी इच्छा से यह संसार चल रहा है। आपकी इच्छा से ओड़िया अस्मिता की पहचान के साथ ओड़िया समुदाय ने आगे बढ़ने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। आपकी इच्छा पर, जगन्नाथ मंदिरों के चार द्वार पहले खोले गए थे। आप की इच्छा से 46 सालों बाद एक महत उद्देश्य को लेकर रत्न भंडार खोला गया है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह महान कार्य सफल होगा।