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कहा-भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन से मिली आंतरिक शांति : राष्ट्रपति
पुरी। चार दिवसीय दौरे पर ओडिशा आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को पुरी के स्वच्छ समुद्र तट पर टहलते हुए अपने अनुभव को ‘ध्यानमग्न अनुभव’ बताया। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि पहाड़, जंगल, नदियां और समुद्र तट न केवल हमारे भीतर कुछ गहराई तक पहुंचते हैं, बल्कि ये स्थान हमें जीवन के सार के करीब लाते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं।
अपने आधिकारिक ट्विटर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लिखा कि आज समुद्र तट के किनारे टहलते हुए मैंने परिवेश के साथ एक संगति महसूस की। हल्की हवा, लहरों की गर्जना और विशाल जल का विस्तार, यह एक ध्यानमग्न अनुभव था। इसने मुझे वही गहरी आंतरिक शांति प्रदान की, जो मुझे कल महाप्रभु श्री जगन्नाथजी के दर्शन से मिली थी। और मैं अकेली नहीं हूं जिसने ऐसा अनुभव किया है।
प्रकृति के साथ खोता संबंध
राष्ट्रपति मुर्मू के अनुसार, लोग दैनिक जीवन की भाग-दौड़ में प्रकृति के साथ यह संबंध खो देते हैं। मानवजाति मानती है कि उसने प्रकृति पर अधिकार कर लिया है और अपने अल्पकालिक लाभों के लिए इसका शोषण कर रही है। परिणाम हमारे सामने हैं।
राष्ट्रपति ने लिखा कि इस गर्मी में भारत के कई हिस्सों ने भीषण हीटवेव की एक श्रृंखलाबद्ध स्थिति का सामना किया। हाल के वर्षों में दुनियाभर में चरम मौसम की घटनाएं अधिक बार हो गई हैं। आने वाले दशकों में स्थिति और भी बदतर होने की संभावना है।
महासागरों की स्थिति पर चिंता
अपने ट्वीट में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पृथ्वी की सतह का सत्तर प्रतिशत से अधिक हिस्सा महासागरों से बना है और वैश्विक तापन के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा है। महासागर और वहां पाए जाने वाले विविध प्रकार के वनस्पति और जीव विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारण भारी नुकसान उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सौभाग्य से प्रकृति की गोद में रहने वाले लोगों ने ऐसी परंपराओं को जीवित रखा है, जो हमें रास्ता दिखा सकती हैं। उदाहरण के लिए तटीय क्षेत्रों के निवासी हवा और समुद्र की लहरों की भाषा को जानते हैं। हमारे पूर्वजों का अनुसरण करते हुए वे समुद्र को भगवान के रूप में पूजते हैं।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय
राष्ट्रपति ने लिखा है कि मेरे विचार में, पर्यावरण संरक्षण की चुनौती को पूरा करने के दो तरीके हैं; व्यापक कदम जो सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से आ सकते हैं, और छोटे, स्थानीय कदम जो हम नागरिक के रूप में उठा सकते हैं। ये दोनों निश्चित रूप से परस्पर पूरक हैं। आइए हम बेहतर भविष्य के लिए व्यक्तिगत रूप से, स्थानीय स्तर पर, जो कुछ भी कर सकते हैं करने का संकल्प लें। हमें यह अपने बच्चों के लिए करना है।