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अभ्यास का सफलतापूर्वक हुआ विकासात्मक परीक्षण

  • उन्नत रडार क्रॉस सेक्शन, विजुअल और इन्फ्रारेड वृद्धि प्रणालियों के साथ हुआ परीक्षण

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई दी

बालेश्वर। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आइटीआर) से उन्नत बूस्टर कॉन्फिगरेशन के साथ हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (एचईएटी) ‘अभ्यास’ के लगातार छह विकासात्मक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। इसके साथ ही, ‘अभ्यास’ ने सिस्टम की विश्वसनीयता को प्रदर्शित करते हुए 10 विकासात्मक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिये हैं।

परीक्षण उन्नत रडार क्रॉस सेक्शन, विजुअल और इन्फ्रारेड वृद्धि प्रणालियों के साथ किए गए थे। परीक्षणों के दौरान, बूस्टर की सुरक्षित मुक्ति, लॉन्चर क्लीयरेंस और धीरज प्रदर्शन को कवर करने वाले विभिन्न मिशन संबंधी उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। न्यूनतम रसद के साथ संचालन की आसानी को प्रदर्शित करते हुए 30 मिनट के अंतराल में दो लॉन्च किए गए। विभिन्न सेनाओं के प्रतिनिधियों ने उड़ान परीक्षणों को देखा।

‘अभ्यास’ को डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, बेंगलुरु द्वारा डिजाइन किया गया है और उत्पादन एजेंसियों – हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो के माध्यम से विकसित किया गया है। यह हथियार प्रणालियों के लिए एक यथार्थवादी जोखिम से निपटने का परिदृश्य प्रदान करता है। यह स्वदेशी प्रणाली एक ऑटो पायलट, विमान एकीकरण, प्री-फ्लाइट चेक और स्वायत्त उड़ान के लिए लैपटॉप-आधारित ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम की मदद से स्वायत्त उड़ान के लिए डिजाइन की गई है। इसमें उड़ान के बाद के विश्लेषण के लिए उड़ान के दौरान डेटा रिकॉर्ड करने की सुविधा भी है। बूस्टर को एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी और नेविगेशन सिस्टम को रिसर्च सेंटर इमारत द्वारा डिजाइन किया गया है। पहचान की गई उत्पादन एजेंसियों के साथ, ‘अभ्यास’ अब उत्पादन के लिए तैयार है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘अभ्यास’ के विकासात्मक परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि सफल परीक्षण वैज्ञानिकों और उद्योग के बीच तालमेल का महत्वपूर्ण प्रमाण हैं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने सफल उड़ान परीक्षण से जुड़ी टीमों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रणाली किफायती है और इसके निर्यात की अपार संभावनाएं हैं।

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