-
सीबीआई के पूर्व निदेशक एम नागेश्वर राव भी हुए थे धोखाधड़ी के शिकार
-
प्रभावशाली लोगों के कारण काफी प्रयासों के बावजूद एफआईआर दर्ज करवाने में रहे असफल
भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में एक जमीन को 27 बार बेचने की धोखाधड़ी मामले में एक नया खुलासा हुआ है। लगभग 250 करोड़ रुपये के सरकारी भूमि घोटाले के आरोपों के बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक एम नागेश्वर राव ने दावा किया है कि वह भी धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं।
उन्होंने चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं कि राज्य में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों सहित शक्तिशाली लोगों के साथ मिलीभगत करके भू-माफियाओं ने सरकारी जमीनें बेची हैं। पूर्व सीबीआई प्रमुख ने आरोप लगाया कि मास्टरमाइंड नृसिंह प्रसाद सुंदराय उर्फ बबिनो ने शक्तिशाली लोगों के साथ मिलकर धोखाधड़ी से सरकारी जमीन बेची और उस पर उन्होंने जाली दस्तावेज बनाकर अतिक्रमण किया।
एक आरटीआई के जवाब के अनुसार, पात्रपड़ा मौजा के तहत सरकारी भूखंड संख्या-321 पर स्थित और राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित कुल लगभग 7.5 एकड़ जमीन को कम से कम 27 बार बेचा और खरीदा गया है।
दस्तावेज पुलिस अधिकारियों के परिवार के नाम पर
चौंकाने वाली बात यह है कि बिक्री के ये दस्तावेज ओडिशा के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजीव मरीक के बेटे सुदीप मरीक (2009 में), खुफिया विभाग के पूर्व निदेशक आरपी कोचे (2010 में), पूर्व अतिरिक्त डीजीपी श्याम सुंदर हंसदा की पत्नी और बेटे (2011 में) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक एम. नागेश्वर राव की पत्नी और बेटे (2011 में) सहित कई अन्य लोगों के नाम पर किए गए।
सीबीआई के पूर्व निदेशक पर भारी पड़े शक्तिशाली लोग
इस धोखाधड़ी के सुर्खियों में आने के बाद आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव ने ट्विट कर जो बयान दिया है, वह लोगों को परेशान करने वाला है। सीबीआई के पूर्व निदेशक ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि शक्तिशाली लोग भारी पड़े। उन्होंने दावा किया है कि वह भी धोखाधड़ी के शिकार हैं और उन्होंने 2015 में एफआईआर भी दर्ज कराई थी, लेकिन उनके प्रयासों के बावजूद वह एफआईआर दर्ज करवाने में असफल रहे, क्योंकि मामले में कई शक्तिशाली लोग शामिल थे।
राव ने एक निजी चैनल को दिये गये बयान में कहा है कि जब मैं भुवनेश्वर में था, तब मेरे बैचमेट श्याम सुंदर हंसदा ने मुझे बबिनो से मिलवाया था। फिर उन्होंने हमें जमीन का एक टुकड़ा दिखाया और वादा किया कि सभी दस्तावेज वैध हैं और मुझे यह भी बताया कि कितने अन्य आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने इसी तरह से जमीन खरीदी है। उन्होंने आगे कहा कि मेरे दोस्त हंसदा ने मुझे बताया कि उन्होंने भी जमीन खरीदी है और वहां घर बना रहे हैं। कीमत तय करने के बाद मैंने 4,000 वर्ग फीट जमीन के लिए 9.5 लाख रुपये का भुगतान किया और पंजीकरण भी कराया। बाद में जब मैंने म्यूटेशन के लिए तहसीलदार से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह सरकारी जमीन है। मैंने तुरंत एसपी, आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को शिकायत लिखी।