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भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था थी अत्यंत सुदृढ़ – गोस्वामी

  •  विद्या भारती, शिक्षा विकास समिति की वार्षिक साधारण सभा आयोजित

कटक। पूरे देश में भारतीय स्व और भारतीयता पर आधारित भारतीय शिक्षा प्रणाली को लागू करने में विद्या भारती प्रमुख भूमिका निभा रही है। ओडिशा में इस आंदोलन में शिक्षा विकास समिति अग्रणी भूमिका में है। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले सभी कार्यकर्ताओं को निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समर्पित होकर काम करने की जरूरत है। ऐसा कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुनीलपाद गोस्वामी का। वह केशव धाम, कटक में विद्या भारती की इकाई शिक्षा विकास समिति की दो दिवसीय वार्षिक आम सभा के समापन समारोह में बोल रहे थे। बैठक की अध्यक्षता शिक्षा विकास समिति के अध्यक्ष डॉ किशोर चंद्र मोहंती ने की।

उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था अत्यंत सुदृढ़ थी। भारत के गुरुकुलों के जरिये शिक्षा प्रदान की जाती थी, लेकिन इस्लामी विदेशी आक्रांताओं से लेकर यूरोपीय अक्रांताओं ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस किया। इस्लामी अक्रांताओं ने नालंदा जैसे विश्वविद्यालय व शिक्षा के केन्द्र को ध्वस्त करने के साथ साथ वहां की लाइब्रेरी को आग के हवाले कर दिया। लाखों पुस्तकों को जला दिया गया।

उन्होंने कहा कि वहीं अंग्रेज भी जानते थे कि भारतीयों को उनकी संस्कृति से काटने के लिए सनातन शिक्षा व्यवस्था पर चोट करना होगा। उन्होंने भारत की शिक्षा व संस्कृति को नष्ट करने के लिए षड़यंत्र रचे। उन्होंने मैकाले की शिक्षा नीति को लागू किया।

उन्होंने कहा कि इसके बाद भारतीयता व स्व के आधार पर भारतीय शिक्षा व्यवस्था की पुनः स्थापना करने के लिए विद्या भारती लगातार कार्य कर रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आगामी 2025 में अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि संघ के शताब्दी वर्ष में निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लेकर समर्पित भावना के साथ शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी कार्यकर्ता काम करें।

इस दो दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर 8 कालांशों में चर्चा की गई तथा उनके कार्यान्वयन के लिए निर्णय लिया गया। चार आयाम जैसे विद्वत परिषद, शोध, संस्कृति बोध परियोजना, पूर्व छात्र पर विस्तार से चर्चा हुई। इसके साथ-साथ नई शिक्षा नीति, जिला केन्द्र सशक्तिकरण, वार्षिक योजना, व पत्र पत्रिका आदि विषयों पर चर्चा हुई।

इस दो दिवसीय कार्यक्रम में डॉ किशोर चंद्र मोहंती, डॉ सरोज कुमार हाती, प्रसन्न कुमार बिस्वाल, सत्य नारायण पटनायक, डॉ लक्ष्मीकांत महाराणा, हेमंत कुमार पाणिग्राही और डॉ तरुलता देवी तथा अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं ने विभिन्न सत्रों में प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया।

 इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय स्तर से लेकर प्रांत, संभाग, जिला व संकुल स्तर के 3 सौ से अधिक प्रवासी कार्यकर्ता व पूर्ण कालिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। सरस्वती विद्या मंदिर, केशव धाम कटक के प्रबंध समिति, प्रधान आचार्य व अन्य आचार्यों के सहयोग से यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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