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Emergency आपातकाल: स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला दिन 25 जून की तारीख

आपातकाल: स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला दिन 25 जून की तारीख

  • इंदिरा गांधी ने अदालत के निर्णय की अवमानना करते हुए 25 जून को आपातकाल की घोषणा की थी

  • विपक्षी दलों के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और समाचार पत्रों पर बंदिश लगा दी गई

कटक। 12 जून 1975 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया । इंदिरा गांधी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, सुप्रीम कोर्ट के अवकाश कालीन सत्र के जज श्री कृष्ण अय्यर ने इंदिरा गांधी को स॔सद के किसी सत्र मे भाग लेने या मतदान करने से रोक दिया और मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्णकालिक बैंच द्वारा करने का आदेश दिया। यह फैसला 24 जून 1975 को आया था। न्यायिक दृष्टि से इंदिरा गांधी को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए था मगर उन्होंने अदालत के इस निर्णय की अवमानना करते हुए 25 जून को आपातकाल की घोषणा कर दी। विपक्षी दलों के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और समाचार पत्रों पर बंदिश लगा दी गई । नागरिकों के मौलिक अधिकार समाप्त कर दिए गए और उन्हें सरकार के खिलाफ किसी भी अदालत में मुकदमा दायर करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया। समूचे देश में एक भय का वातावरण बन गया था

यहां गौर करने वाली बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संसद की कार्यवाही में हिस्सा न लेने और मतदान से वंचित किए जाने के बाद इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री नहीं रह गई थी। अतः इस दौरान उनके द्वारा किए गए सभी निर्णय तथा विधाई कार्य गैरकानूनी ही कहे जाएंगे और इसके लिए उन्हें दंड भी मिलना चाहिए । उस समय के उच्च न्यायालय के कामकाज की भी समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि भारत जैसे गणतांत्रिक राष्ट्र में न्यायिक व्यवस्था के अंतर्गत काम करने की जगह देशवासियो पर तानाशाह रवैया चलाने का अधिकार इंदिरा गांधी को नहीं मिला था। जब उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न की उपाधि दी गई उसी तर्ज पर उनके द्वारा किए गए संविधान विरोधी गलत कार्य के लिए दंडित भी किया जाना चाहिए। ऐसा कदम उठाए जाने से भारत में गणतंत्रीय व्यवस्था और न्याय व्यवस्था का दृष्टांत स्थापित होगा।

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उस समय केवल कम्युनिस्ट पार्टी को छोड़कर देश में विपक्षी दलों के सभी नेता जेल की सलाखों के पिछे बंद थे , इसके खिलाफ आवाज उठाने वाला कोई नहीं था । नानाजी देशमुख के नेतृत्व में गठित लोक संघर्ष समिति ने कुछ कार्यक्रम चलाए और इस लेखक को ओडिशा लोक संघर्ष समिति का उत्तर दायित्व सौंपा गया था। 2 अक्टूबर को कटक के काठजोड़ी नदी के किनारे सर्वोदय कर्मियों ने गांधी जयंती मनाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा अक्टूबर महीने से सत्याग्रह आरंभ किया गया। सन 1977 में आम चुनाव हुए और इंदिरा गांधी बुरी तरह पराजित हुई तब जाकर देश सेआपातकाल समाप्त किया गया । आपातकाल के दौरान इस लेखक को मिसा कानून के चलते 17 महीने जेल में रहना पड़ा था।

लेखक- सरोज कुमार मित्र, वरिष्ठ प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

 

 

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