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ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय में हिंदी साहित्य सम्मेलन का अधिवेशन 23 से

  • तीन दिनों तक देशभर के लब्धप्रतिष्ठत साहित्यकार, शिक्षाविद् एवं हिंदी-सेवी प्रतिनिधि करेंगे मंथन

कोरापुट। हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का 75वां (अमृत महोत्सव) अधिवेशन आगामी 23, 24 एवं 25 जून 2024 को ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापुट के प्रांगण में आयोजित होगा। संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस त्रिदिवसीय कार्यक्रम में देश के विभिन्न अंचलों से लब्धप्रतिष्ठत साहित्यकार, शिक्षाविद् एवं हिंदी-सेवी प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। रविवार 23 जून को शाम 5:00 बजे इस कार्यक्रम का उद्घाटन होगा। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो आरएस सर्राजु, पूर्व प्रति कुलपति, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, सभापति प्रो सुनील बाबूराव कुलकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा एवं स्वागताध्यक्ष प्रो चक्रधर त्रिपाठी, कुलपति, ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय होंगे। 24 जून सोमवार को पूर्वाह्न 10:30 बजे साहित्य परिषद का सभापतित्व डॉ अजय पटनायक, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष,  रावेंशा कॉलेज, कटक, अपराह्न 3:30 बजे राष्ट्रभाषा परिषद का सभापतित्व प्रो एसएम इकबाल, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष,  आंध्रप्रदेश विश्वविद्यालय, विशाखापट्टनम और 25 जून को पूर्वाह्न 10:30 बजे समाजशास्त्र परिषद का सभापतित्व प्रो भरत कुमार पंडा, विभागाध्यक्ष,  शिक्षा-विभाग, ओड़िशा केंद्रीय विश्वविद्यालय करेंगे।

25 जून को पूर्वाह्न 3:30 बजे से खुला अधिवेशन एवं सम्मान समारोह का आयोजन होगा। प्रो एन नागाराजु, कुलपति, गंगाधर मेहेर विश्वविद्यालय, संबलपुर इसकी अध्यक्षता करेंगे। इस अधिवेशन में राष्ट्रभाषा हिंदी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए ‘साहित्य वाचस्पति’ उपाधि अलंकरण और ‘सम्मेलन सम्मान’ भी प्रदान किया जाएगा। गौरतलब है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत के संवाहक के तौर पर प्रयागराज स्थित हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग की गौरवशाली परम्परा रही है। इस संस्थान की स्थापना सन् 1910 में भाषायी दासता से मुक्ति दिलाने हेतु हुई थी। हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने अपने स्थापना-काल से ही अधिवेशनों की परम्परा का सूत्रपात किया है। सम्मेलन का प्रथम अधिवेशन नागरी प्रचारिणी सभा, काशी के तत्त्वावधान में अक्टूबर 1910 में काशी में ही सम्पन्न हुआ, जिसका सभापतित्व महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय ने किया। पुनः उन्होंने सन् 1919 में सम्मेलन का सभापतित्व किया। महात्मा गांधी ने सन् 1918 और सन् 1935 में सम्मेलन के वार्षिक अधिवेशन का सभापति पद स्वीकार किया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने सन् 1936 में, भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन ने 1923 में सम्मेलन का सभापतित्व किया। देश के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकारों ने भी उक्त अधिवेशनों की अध्यक्षता की है। साहित्य सम्मेलन प्रयाग के प्रधानमंत्री श्री कुंतक मिश्र एवं प्रमुख अधिकारी गण तथा संपूर्ण विश्वविद्यालय परिवार और ओडिशा के हिंदी प्रेमी इस कार्यक्रम के प्रति विशेष उत्साहित हैं।

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