भुवनेश्वर। अंतर्राष्ट्रीय ‘आर्ट ऑफ़ गिविंग ‘ दिवस का 11वां संस्करण आज भारत समेत विश्व के लगभग 25,000 स्थानों पर मनाया गया। ओडिशा में यह दिवस 35 शहरों में मनाया गया, जिसमें 30 जिलों के मुख्यालय, साथ ही हर ब्लॉक और 6,500 पंचायतें शामिल हैं। हर साल, आर्ट ऑफ़ गिविंग अलग-अलग थीम पर आधारित होती है, और इस साल की थीम ‘लेट्स एओजी’ थी।
दुनिया भर में शांति, दोस्ती और खुशी को बढ़ावा देने, जब भी और जहाँ भी ज़रूरत हो मदद के लिए हाथ बढ़ाने, सभी के साथ दोस्ती स्थापित करने और सभी का सम्मान करने के लिए कीट और कीस के संस्थापक डॉ अच्युत सामंत द्वारा 17 मई, 2013 को विश्वव्यापी आर्ट ऑफ़ गिविंग के सहारे इस आंदोलन की शुरुआत की गई थी।
तब से, हर साल 17 मई को दुनिया भर में विभिन्न स्थानों पर अंतर्राष्ट्रीय आर्ट ऑफ़ गिविंग यानी “देने की कला ” दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल आम चुनावों के मद्देनजर इसे 17 जून को स्थानांतरित कर दिया गया था।
वर्तमान में, आर्ट ऑफ गिविंग के 20 मिलियन से अधिक संयोयक और 10 मिलियन सदस्य हैं, जो वैश्विक स्तर पर इसका संदेश फैला रहे हैं। इसके कई देशों में समन्वयक हैं, जिनमें भारत के हर राज्य और ओडिशा के हर ब्लॉक और पंचायत में समन्वयक मौजूद हैं।
यह निस्वार्थता, कृतज्ञता, प्रशंसा, दया, करुणा और विनम्रता से भरी एक परोपकारी कार्य है। दूसरों के साथ साझा करने से व्यक्ति को जीवन में सबसे अधिक खुशी मिलती है। यह बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना दूसरों को विभिन्न तरीकों से दान देने के दर्शन पर आधारित है, और यह डॉ सामंत का कहना है और साथ ही उनका यह सोच भी है ।
“मुझे एहसास हुआ कि मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी व्यक्तिगत रूप में अनुभव किया और हासिल किया वह आर्ट ऑफ गिविंग के इर्द-गिर्द घूमता है। मेरे जीवन को तीन शब्दों में संक्षेपित किया जा सकता है: आर्ट ऑफ गिविंग,” उन्होंने कहा। आज, समाज के विभिन्न वर्गों के लाखों लोग आर्ट ऑफ गिविंग अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित हुए हैं।
डॉ सामंत, जिन्होंने मात्र चार साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया और गरीबी में पले-बढ़े, बचपन से ही मदद और प्यार और स्नेह पाते रहे हैं। अपने बचपन से ही, वे छोटी-छोटी नौकरियों से मिलने वाली छोटी-छोटी रकम से दूसरे गरीब और असहाय ग्रामीणों की मदद करने में कभी नहीं हिचकिचाते थे। देने की इसी भावना ने अंततः आर्ट ऑफ गिविंग को जन्म दिया।