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फनी और फाइलिन के प्रबंधन करने वाले वीके पांडियन नहीं कर पाये प्रभावी मुकाबला
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कहा- कम अनुभव होने के कारण समय पर राजनीतिक नैरेटिव का नहीं कर सके सामना
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अपनी संपत्ति का भी खुलासा किया
भुवनेश्वर। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महाचक्रवातों से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंधी भारी पड़ी। फनी और फाइलिन जैसे महातूफानों का सफल प्रबंधन करने वाले तथा नवीन पटनायक के करीबी नेता वीके पांडियन मोदी की आंधी का सामना नहीं कर पाये।
आज सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करते समय पांडियन ने कहा कि अनुभव कम होने के कारण वह सही समय पर राजनीति नैरेटिव का सही से मुकाबला नहीं कर पाये।
नवीन पटनायक के बाद बीजद की तरफ से चुनाव प्रचार अभियान का अहम हिस्सा रहे पांडियन ने कहा कि मैं एक छोटे परिवार से और छोटे गांव से हूं। मेरा बचपन का सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में शामिल होकर लोगों की सेवा करना था, जिसे भगवान जगन्नाथ ने संभव बनाया। मेरी पत्नी केंद्रापड़ा से हैं, इसलिए मैं ओडिशा आया। यहां मैं ओडिशा के लोगों से प्यार करता हूं। धर्मगढ़ से राउरकेला, मयूरभंज और गंजाम तक मैंने लोगों की कड़ी सेवा की है। मैं कड़ी मेहतन की है।
पांडियन ने ओडिशा में बिताये गये अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि 12 साल पहले मैं मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा। यह मेरे लिए सम्मान की बात था कि मुझे अभुवनी नवीन पटनायक के साथ काम करने का मौका मिला। उनसे मुझे लोगों की सेवा, श्रम और मेहनत के लिए प्रेरणा मिली। उनको मुझसे उम्मीद थी कि मैं उनके ओडिशा के विकास के विजन को लागू करूं। स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, निवेश, महिला शक्तिकरण, अवसंरचना विकास, मंदिरों का पुरुर्द्धार, हेरिटेज परियोजनाएं, स्कूलों-कालेजों का रूपांतरण, युवा का विकास, खेल के क्षेत्र में कई उपलब्धियां भी हासिल हुईं।
पांडियन ने कहा कि मेरे बचपन के सरकारी स्कूलों में पढ़ने के अनुभव ने 5-टी के तहत स्कूलों के रूपातंरण में काफी मदद की।
पांडियन ने कहा कि कोरोना के दौरान में स्वास्थ्य सेवा को लेकर काफी काम किया। इसके साथ दो महाचक्रवातों फनी और फाइलिन के दौरान मैंने काफी काम किया।
इस बीच मैंने अपने पद से इस्तीफा दिया तथा नवीन बाबू को राजनीति में मदद करने उतर गया। मैंने कभी भी कोई पद पार्टी में नहीं लिया। मेरा सिर्फ उद्देश्य ओडिशा का विकास और नवीन बाबू की राजनीति में मदद करना था।
इस बीच चुनाव में राजनीतिक नैरोटिव का प्रभावी तरीके से सामना नहीं कर सका, क्योंकि राजनीति में मेरे पास बहुत कम समय का अनुभव था।
मदद के अलावा मेरा को उद्देश्य बीजद के साथ नहीं। मेरे पास आज भी उतनी ही संपत्ति है, जितनी मेरे आईएएस को ज्वाइन करने के समय थी। आज भी वही संपत्ति मेरे पास है, इसके आलवा पूरी दुनिया में मेरी कोई संपत्ति नहीं है।
पांडियन ने राजनीति में आने के ठीक छह महीने और 13 दिन बाद सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की रविवार को घोषणा की। उन्होंने कहा कि वह ओडिशा को अपने दिल में तथा ‘गुरु नवीन बाबू’ को अपनी सांसों में रखेंगे।
अपने करीबी सहयोगी का बचाव करते हुए बीजद प्रमुख नवीन पटनायक ने पांडियन के खिलाफ जारी आलोचना को शनिवार को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया और ‘‘शानदार काम’’ करने के लिए उनकी सराहना की थी।
चुनाव प्रचार के दौरान पांडियन ने कहा था कि अगर पार्टी अध्यक्ष पटनायक विधानसभा चुनाव के बाद लगातार छठी बार ओडिशा के मुख्यमंत्री नहीं बने, तो वह (पांडियन) राजनीति छोड़ देंगे। पांडियन ने झाड़सुगुडा जिले के ब्रजराजनगर में एक रैली में घोषणा की थी कि आप (भाजपा) कहते हैं कि ओडिशा में भाजपा की लहर है और परिवर्तन की लहर है, लेकिन मैं दृढ़ता से कहता हूं कि अगर मुख्यमंत्री (पटनायक) दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बने, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। अपने निर्णय की घोषणा करते हुए पांडियन ने पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं सहित पूरे बीजू (पटनायक) परिवार से क्षमा मांगी और उन लाखों बीजद सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया, जिनसे वे जुड़े हुए थे।