-
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजद की हार के बाद दोनों ने संन्यास लेने की घोषणा की
भुवनेश्वर। हाल ही में संपन्न 2024 के चुनावों में बीजू जनता दल (बीजद) की करारी हार के बाद मचे बवाल के बीच नौकरशाह से नेता बने वीके पांडियन और कंधमाल से सांसद रहे डा अच्युत सामंत ने रविवार को सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की।
पांडियन ने एक वीडियो बयान में इस फैसले की घोषणा की। यह घटनाक्रम बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक द्वारा स्पष्ट रूप से कहे जाने के एक दिन बाद सामने आया है कि वीके पांडियन उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं।
2024 के चुनावों से पहले वीके पांडियन ने घोषणा की थी कि अगर नवीन पटनायक छठी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने में विफल रहे तो वह सक्रिय राजनीति छोड़ देंगे।
ऐसा कहा जाता है कि पार्टी की चुनावी हार के बाद पांडियन बीजद के भीतर निशाने पर थे। हाल ही में भुवनेश्वर के शंख भवन में बुलाई गई बैठक के दौरान युवा बीजद नेताओं ने पांडियन और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ खुलेआम नारेबाजी की थी।
बीजू परिवार से माफी मांगी
अपने वीडियो बयान में पांडियन ने कहा है कि राजनीति में शामिल होने का मेरा उद्देश्य नवीन बाबू की सहायता करना था और अब मैं जानबूझकर सक्रिय राजनीति से हटने का फैसला करता हूं। अगर मैंने इस यात्रा में किसी को ठेस पहुंचाई है तो मुझे खेद है। मुझे खेद है कि मेरे खिलाफ इस अभियान की वजह से बीजद की हार हुई है। मैं पूरे बीजू परिवार से माफी मांगता हूं।
बीजद में चल रहे एक बड़े नाटक का अंत
कहा जा रहा है कि पांडियन की सक्रिय राजनीति छोड़ने की घोषणा के बाद ओडिशा की राजनीति और बीजद के भीतर चल रहे एक बड़े नाटक का अंत हो गया है। वीके पांडियन बीते छह महीने के भीतर ही बीजद में सबसे ताकतवर बन गए थे। पांडियन के पास बीजद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद पांडियन को एहसास हो गया है कि ओडिशा अब उनके लिए सुरक्षित नहीं है।
अच्युत सामंत ने राजनीति छोड़ी
इधर, बीजू जनता दल के प्रमुख नेता और पूर्व सांसद डॉ अच्युत सामंत ने भी सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया है। डॉ सामंत ने कल नवीन निवास में बीजू जनता दल के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात के बाद अपने फैसले की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने पटनायक को राज्यसभा और लोकसभा में मौका देने के लिए धन्यवाद दिया। डॉ सामंत ने कहा कि पिछले 32 वर्षों से समाज सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनकी अंतिम सांस तक जारी रहेगी। इस साल कंधमाल संसदीय क्षेत्र में हार के बाद उन्होंने 9 जून को सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी। वहीं डॉ सामंत ने बीजद के सदस्यों और कंधमाल संसदीय क्षेत्र की जनता को उनके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।