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नवीन निवास में पार्टी प्रमुख नेताओं के के टूटे हुए आत्मविश्वास जगाने की कोशिश की
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कहा-इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं
भुवनेश्वर। हाल ही में संपन्न 2024 के आम चुनावों में बीजू जनता दल (बीजद) के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी के नेता पार्टी सुप्रीमो और निवर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ब्रांड छवि को बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हालांकि पार्टी अभी भी भाजपा को अप्रत्याशित जनादेश मिलने के बाद 24 साल बाद सत्ता खोने के सदमे से उबर नहीं पाई है, लेकिन नवीन ने नवीन निवास में पार्टी नेताओं के टूटे हुए आत्मविश्वास को यह कहकर फिर से जगाने की कोशिश की कि इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है।
नवीन की साफ-सुथरी छवि पेश करने के लिए पार्टी के नेता 5-टी के चेयरमैन वीके पांडियन की छवि को मिटाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी सहारा ले रहे हैं।
बीजद नेता प्रताप जेना ने कहा कि नवीन पटनायक भारत में नंबर 1 और सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री थे। नवीन बाबू अभी भी सभी ओड़िया लोगों के दिलों में बसे हैं।
भाजपा ने पटनायक पर कटाक्ष किया
इस बीच, भाजपा ने पटनायक पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बीजद की चुनावी हार के लिए दूसरों को दोषी ठहराकर वे बच नहीं सकते। भाजपा नेता जयनारायण मिश्र ने कहा कि पांडियन को नियुक्ति किसने दी? पांडियन की मदद किसने की? पांडियन और नवीन दोनों ही इस स्थिति के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं। वे (बीजद नेता) इस मामले पर नाटक कर रहे हैं, जिससे उन्हें कोई मदद नहीं मिलेगी। इसके लिए मुख्य रूप से नवीन जिम्मेदार हैं।
आत्मरक्षा के लिए एक कमजोर कहानी गढ़ी
भाजपा नेता प्रताप षाड़ंगी ने कहा कि उन्होंने आत्मरक्षा के लिए एक कमजोर कहानी गढ़ी है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। कई लोगों ने मुझे बताया है कि दुर्योधन का कोई दोष नहीं था, क्योंकि शकुनि ने उसे गुमराह किया था। हालांकि, दुर्योधन को यह स्वतंत्रता थी कि वह शकुनि को अपना मार्गदर्शक चुने या नहीं। अगर अर्जुन ने श्रीकृष्ण को चुना, तो दुर्योधन ने शकुनि को क्यों चुना? उन्होंने पूछा कि पांडियन को सत्ता किसने दी? क्या लोगों ने नवीन पटनायक या पांडियन को मुख्यमंत्री चुना था? एक सरकारी कर्मचारी ने ओडिशा के लोगों को अपना सेवक बनाने की कोशिश की और बीजद के मंत्रियों और सांसदों को सेवकों की तरह व्यवहार किया। क्या नवीन इसे नहीं समझ सकते?
बीजद के शासन पर सवालिया निशान
उन्होंने कहा कि इसके अलावा नवीन पटनायक के 24 साल के शासन पर भी सवाल उठ रहे हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार किसानों की आय के मामले में ओडिशा इस समय देश में नीचे से दूसरे स्थान पर है। बेरोजगारी के मामले में राज्य पहले नंबर पर है, जहां 41 फीसदी युवाओं के पास कोई नौकरी नहीं है। स्वास्थ्य सूचकांक में राज्य 14वें स्थान पर है।
मातृ और शिशु मृत्यु दर पर सवाल
देश में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर की सूची में भी ओडिशा है। अनुसूचित जनजातियों के करीब 48 फीसदी लोग निरक्षर हैं और राज्य में स्कूल छोड़ने वालों की दर करीब 50 फीसदी है। महिलाओं के खिलाफ अपराध और लापता बच्चों के मामले में भी ओडिशा सबसे आगे है।