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खेलकूद के प्रति बच्चों को आकर्षित करने को मायुमं का अनूठा प्रयास

  • सप्ताहव्यापी बास्केट बाल प्रशिक्षण शिविर लगा बच्चों में कराई प्रतियोगिता, ट्राफी देकर किया सम्मानित

भुवनेश्वर। खेलकूद के प्रति बच्चों को आकर्षित करने के लिए भुवनेश्वर मारवाड़ी युवा मंच (मायुमं) का अनूठा प्रयास देखने को मिला है। मंच ने बास्केट बाल प्रशिक्षण शिविर लगाकर ना सिर्फ इस खेल के लिए बच्चों को प्रशिक्षित किया, बल्कि प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न होने के बाद इनके बीच प्रतियोगिता करायी और ट्राफी देकर सम्मानित करते हुए उनके मन में खेल भावना भी जागृत करने का प्रयास किया है।

बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए मोबाइल नहीं खेलकूद जरूरी है। खेलकूद के जरिए ही बच्चों का सम्पूर्ण विकास सम्भव है। आज कल सभी घरों में देखा जाता है कि बच्चे खेलूकद करने के बजाय मोबाइल या लैपटाप से ही चिपके रहते हैं, ऐसे में बच्चों को खेलकूद प्रति आकर्षित करने के लिए भुवनेश्वर मारवाड़ी युवा मंच की तरफ से अध्यक्ष हरिश अग्रवाल के नेतृत्व में सप्ताह व्यापी बास्केट बाल प्रशिक्षण शिविर एवं फिर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

स्थानीय शहीद नगर इम्फा पार्क में आयोजित के बारे में जानकारी देते हुए मायुमं भुवनेश्वर के अध्यक्ष हरिश अग्रवाल ने कहा कि आधुनिक युग में बच्चे अपने पारंपरिक खेलकूद प्रतियोगिता से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में मायुमं ने विनीत अग्रवाल, अमित जोशी के संयोजन में बास्केट बाल प्रशिक्षण शिविर एवं प्रतियोगिता करने का निर्णय लिए। प्रशिक्षण के लिए हमने कोच का भी प्रबंध किया और फिर अपने समाज व संगठन के 25 एवं 13 गरीब बच्चों को प्रतियोगिता के लिए चयन किया। इन बच्चों को एक सप्ताह तक प्रशिक्षण इम्फा पार्क में ही प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद रविवार को तीन ग्रुप बनाकर प्रतियोगिता आयोजित की गई। इन तीनों टीम का नाम टीम पैंथर, टीम जागवार एवं टीम पंडा रखा गया। शिविर के आखिरी दिन इन तीनों टीम के बीच प्रतियोगिता चली, जिसमें बतौर अतिथि राष्ट्रीय बास्केटबाल खिलाड़ी दिलीप परिडा भी उपस्थित रहे। दिलीप परिडा ने मायुमं के इस आयोजन की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि बच्चों को मोबाइल से हटाकर खेल के प्रति प्रेरित करने का यह प्रयास प्रशंसनीय है। इस तरह के प्रयास नियमित जारी रहने चाहिए। अंत में परिड़ा एवं मंच के साथियों ने विजेता एवं सभी खिलाड़ियों को ट्राफी देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मायुमं के वरिष्ठ सदस्य रमाशंकर रूंगटा ने बच्चों को उत्साहित करते हुए बच्चों को बास्केट बाल की कैसे और कब शुरूआत हुई थी, उसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 1891 में जेम्स नाईस्मिथ द्वारा बास्केट बाल का अविष्कार हुआ था। भारत में यह खेल 1894 में आया। 1936 में इस खेल को ओलंपिक में शामिल किया गया था। आज यह खेल पूरी दुनिया में खेला जाता है। उन्होंने कहा कि मायुमं अध्यक्ष हरिश अग्रवाल का यह प्रयास प्रशंसनीय है, इसे आगामी दिनों में भी जारी रखा जाना चाहिए। शिविर को सफल बनाने के लिए अध्यक्ष ने पूरी मायुमं टीम को बधाई दी।

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