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ओआरआईडीएल की डीपीआर से गायब है यह इलाका
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रेलवे की मांगी गयी संशोधित डीपीआर नहीं दिये जाने से लोगों में आक्रोश
भुवनेश्वर। कंधमाल में चुनाव पूर्व जिले के मुख्यालय और इस आदिवासी इलाके के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र फूलबाणी तक रेल लाईन की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ने लगी है। चुनाव में लोग इसे लेकर सवाल उठाने लगे हैं तथा रेलवे की ओर से मांगी गयी संशोषित डीपीआर नहीं दिये जाने से उनमें आक्रोश है। कहा जा रहा है कि स्थानीय लोगों को न सिर्फ एक लंबा इंतजार करना पर रहा है, बल्कि अब उन्हें इसके पूरा होने पर आशंका भी रही है। इसके लिए वे सवाल उठा रहे हैं तथा ओडिशा सरकार के संयुक्त उद्यम मेसर्स ओडिशा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड (ओआरआईडीएल) की अकुशलता को जिम्मेवार मान रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जुलाई, 2019 में रेलवे बोर्ड ने ओआरआईडीएल को ब्रह्मपुर (गोपालपुर)-फुलबाणी-संबलपुर की नई लाइन परियोजना के संबंध में निवेश पूर्व गतिविधियों को शुरू करने के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। इसी आधार पर ओआरआईडीएल ने परियोजना के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण कर इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की, जिसमें फूलबाणी को बायपास कर एक नया संरेखण प्रस्तुत किया गया। इसका कारण तकनीकी और वित्तीय व्यवहार्यता बताया गया।
नए संरेखन में फूलबाणी गायब
ज्ञात हो कि रेलवे बोर्ड ने जिस निवेश पूर्व गतिविधियों की अनुमति दी थी, उसमें यह लाइन कंधमाल के फूलबामी होकर गुजर रही थी, लेकिन ओआरआईडीएल द्वारा रेलवे को मई, 2023 में प्रस्तुत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में चकपड़ा और बौध के बीच एक नए संरेखन को शामिल कर लिया गया, जो कि फूलबाणी से होकर नहीं गुजर रही थी।
स्थानीय लोगों ने किया विरोध
जब स्थानीय लोग और बुद्धिजीवियों को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू किया। इसी क्रम में उन्होंने रेल मंत्रालय को कई अभ्यावेदन भी भेजे। फुलबाणी कंधमाल जिले का मुख्यालय है और आदिवासी बहुल जिले का एक महत्वपूर्ण शहर है। फुलबाणी को रेल मानचित्र पर लाना भी लोगों की लंबे समय से लंबित आकांक्षा थी। इसी जनाकांक्षा को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्री ने भी ओडिशा में विभिन्न समारोहों में कहा कि उन्होंने ओआरआईडीएल के प्रस्ताव को लौटा दिया है और इसमें फूलबनी को भी शामिल करने की सलाह दी है।
संशोधित डीपीआर में हो रही है देरी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक ओआरआईडीएल के द्वारा इस संबंध में कोई प्रगति नहीं की गयी है और यही कारण है कि संशोधित डीपीआर जमा करने में देरी से परियोजना का काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में नेटवर्क फैला तो यहां क्यों नहीं
लोगों ने कहा कि यदि यहां भौगोलिक दिक्कतें हैं, तो जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी में रेलवे का नेटवर्क कैसे फैला। अगर वहां रेलवे का नेटवर्क फैल सकता है, तो यहां क्यों नहीं। लोगों ने कहा कि यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है, ऐसे में इस क्षेत्र का विकास सर्वोपरि होना चाहिए।
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