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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जिला स्तरीय समितियां गठित करने को कहा
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अपराध नियंत्रण में डीएम-एसपी और संस्थान के प्रशासकों के साथ मीडिया को भी बड़ी जिम्मेदारी मिली
भुवनेश्वर। शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग रोकने में एक मीडिया के प्रतिनिधि भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका देंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन के लिए चल रहे उपायों के तहत राज्यों से उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की समस्या को रोकने के लिए जिलास्तरीय समितियां गठित करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, जिलास्तरीय एंटी-रैगिंग समिति का गठन किया जाएगा। इसमें जिला कलेक्टर/उपायुक्त/जिला मजिस्ट्रेट समिति के प्रमुख होंगे। बताया गया है कि समिति के अन्य सदस्यों में संबंधित विश्वविद्यालय/कॉलेज/संस्था के प्रमुख, पुलिस अधीक्षक, अपर जिलाधिकारी (सदस्य सचिव), स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधि, जिलास्तरीय गैर-सरकारी संगठन के प्रतिनिधि (युवा विकास कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से जुड़े हुए), छात्र संगठन के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
साथ ही साथ कहा गया है कि दिशानिर्देशों के अनुसार, स्थानीय पुलिस और स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ संस्थागत अधिकारियों को रैगिंग की परिभाषा के साथ आने वाली घटनाओं पर नज़र सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
अपने नवीनतम नोटिस में यूजीसी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के अनुसार, रैगिंग रोकने के लिए जिलास्तरीय समिति को प्रत्येक संस्थान की तैयारियों की स्थिति, पुलिस और उचित निकायों के निर्देशों या दिशानिर्देशों के अनुपालन का जायजा लेने के लिए गर्मी की छुट्टियों के दौरान तैयारी बैठकें आयोजित करनी चाहिए।
यहां उल्लेखनीय है कि रैगिंग एक अपराध है और यूजीसी ने रैगिंग के संकट को रोकने और खत्म करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए 2009 में एंटी-रैगिंग विनियम बनाए हैं।