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भाजपा की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने की हस्तक्षेप
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अनिल बिस्वाल ने मुख्यमंत्री पर साधा निशाना
भुवनेश्वर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शिकायत पर चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के बाद 5-टी और नवीन ओडिशा के चेयरमैन वीके पांडियन का नाम मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की वेबसाइट से हटा दिया गया है। वेबसाइट पर अधिकारियों की सूची में शीर्ष पर 5-टी तथा नवीन ओडिशा के चेयरमैन के रूप में वीके पांडियन का नाम था। इसके बाद राज्य के अवकाश प्राप्त मुख्य सचिव आईएएस सुरेश चंद्र महापात्र का नाम बतौर प्रमुख सलाहकार, मुख्यमंत्री कार्यालय तथा आईपीएस धीरेंद्र साम्भा कुटे का नाम बतौर विशेष सचिव, मुख्यमंत्री दर्ज था।
चूंकि वीके पांडियन नौकरशाही छोड़कर बीजद में शामिल होकर राजनीति में उतर गये हैं, ऐसी स्थिति में उनके नाम को लेकर भाजपा ने आपत्ति जतायी थी। अब चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की वेबसाइट से पांडियन का नाम हटा दिया गया है।
सीएमओ द्वाया उठाये गये इस कदम के बाद भाजपा की प्रदेश इकाई ने राज्य में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सरकार पर जमकर निशाना साधा है।
भाजपा के प्रवक्ता अनिल बिस्वाल ने कहा चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के बाद 5-टी अध्यक्ष के कार्यालय से वीके पांडियन को हटा दिया गया है। 5-टी अध्यक्ष के नाम के एक सरकारी अधिकारी के अधिकार को वीके पांडियन ने हड़प लिया था। इसको चुनाव आयोग ने गैरकानूनी बताया, तब जाकर ओडिशा सीएमओ की वेबसाइट से उनके नाम को हटाया गया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने पिछले दिनों इस बात को लेकर सवाल उठाय़ा था कि प्रत्यक्ष राजनीति करने वाला एक व्यक्ति मुख्यमंत्री कार्यालय में कैसे कार्य कर कर रहा है। इस बारे में सी-विजिल एप्प में भी शिकायत की गई थी।
भाजपा के प्रवक्ता अनिल बिस्वाल ने कहा कि जहां राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू है, ऐसे में स्वयं मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन प्रमाणित हो गया है। साफ-सुथरी छवि का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का कार्यालय ही सभी प्रकार के अलोकतांत्रिक कार्यों में लिप्त है और राज्य में निष्पक्ष चुनाव संपन्न करवाने में सबसे बड़ा बाधक बना हुआ है।
बिस्वाल ने कहा कि राज्य में 5-टी एक बड़ा भ्रष्टाचार है। केवल इतना ही नहीं, इसके जरिये लोकतंत्र, ओड़िया स्वाभिमान की हत्या की गई है। आगामी चुनाव में 5-टी महा भ्रष्टाचार पर लोग उचित जवाब देंगे। राज्य में सभी सरकारी कामों में हस्तक्षेप करने तथा मंत्रियों के अधिकारों को कम करने के लिए 5-टी पद का सृजन किया गया था। हालांकि इस संदर्भ में सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं मिला था।
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