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18 वर्ष तक निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा व बाल विवाह मुक्त देश अभियान को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग
बालेश्वर। साल 2030 तक भारत बाल विवाह मुक्त देश होगा। यह बातें स्वयंसेवी संघ बस्ती क्षेत्र विकास परिषद (बीएडीसी) के सचिव गोपाल चंद्र कर ने कहीं। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा बाल विवाह मुक्त देश के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने कहा कि उपरोक्त लक्ष्य को हासिल करने में राजनीतिक दलों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसलिए 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा तथा बाल विवाह मुक्त देश अभियान को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने एक प्रमुख सामाजिक शोधकर्ता पुरुजीत प्रहराज के बयान का हवाला दिया, जिसमें प्रहराज ने कहा है कि बाल विवाह की प्रथा को खत्म करने के लिए 18 वर्ष की आयु तक अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को संयुक्त रूप से विभिन्न उपाय करना आवश्यक है।
कर ने बताया कि बाल विवाह मुक्त करने के अभियान में पूरे भारत के 300 जिलों में 160 सामाजिक संगठन काम कर रहे हैं और 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त देश माना जाएगा। पिछले 6 महीनों में पूरे भारत में 50,000 बाल विवाह रोके गए हैं। बाल विवाह के 10 हजार मामलों में कानूनी कार्रवाई की गयी है, जिसे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 2023 का एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।
इस संदर्भ में कर ने कहा कि बाल विवाह जैसे सामाजिक अपराध को खत्म करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों को संयुक्त रूप से कदम उठाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि इस संबंध में सभी राजनीतिक दलों को 18 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करने और बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को आगामी लोकसभा चुनाव में प्रचार के रूप में रखा जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि बीएडीसी के प्रयास से बालेश्वर जिले में 44 बाल विवाह रोके गए हैं। उन्होंने राज्य सरकार से पूरे राज्य में बाल विवाह रोकने की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयासों से पता चला है कि देश भर में 5 प्रतिशत बाल विवाह रोक दिए गए हैं और सभी राजनीतिक दलों से मांग की है कि बाल विवाह मुक्त अभियान को उनके चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि हमारे राज्य ओडिशा में महिला साक्षरता दर 64 प्रतिशत है, जबकि बाल विवाह की दर अधिक है 21 फीसदी है। केरल में 96 प्रतिशत महिला साक्षरता दर है, जबकि बाल विवाह 6 प्रतिशत है और मिजोरम में 93 प्रतिशत महिला साक्षरता है और 8 प्रतिशत बाल विवाह है। इसी प्रकार बिहार जैसे राज्यों में 41 प्रतिशत बाल विवाह के साथ 61 प्रतिशत महिला साक्षरता है और मध्य प्रदेश में 23.1 प्रतिशत के साथ 67.5 प्रतिशत महिला साक्षरता है। इसी तरह, हरियाणा में महिला साक्षरता दर 73.8 प्रतिशत है, जबकि बाल विवाह दर 12.5 प्रतिशत है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि अनिवार्य शिक्षा से सामाजिक और आर्थिक सुधार हो सकता है। बाल विवाह खत्म हो सकता है और महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता आ सकती है। बालेश्वर जिले में महिला साक्षरता 63.35 प्रतिशत थी, जबकि बाल विवाह 28 प्रतिशत है। कर ने कहा कि बीएडीसी के नेतृत्व में बाल विवाह मुक्त अभियान, जागरूकता कार्यक्रम, कानूनी कार्रवाई, बाल विवाह रोकना आदि विभिन्न कार्यक्रम जारी हैं।