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राज्य सरकार की गठित पैनल की बैठक में सुविधा, टीम, टेक्निकल पर चर्चा हुई
पुरी। भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार स्नान पूर्णिमा के बाद खुल सकता है। रत्न भंडार में कीमती सामानों की सूची की प्रक्रिया की निगरानी के लिए ओडिशा सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक शनिवार को पुरी में हुई और इस दौरान कहा गया कि उक्त समय उपयुक्त होगा।
बैठक की अध्यक्षता श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के कार्यालय में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में हुई। आखिरी बार रत्न भंडार को वर्ष 1978 में सूची के लिए खोला गया था। मीडिया से बात करते हुए अरिजीत पसायत ने कहा कि हमने कीमती सामान की गिनती के लिए रत्न भंडार में प्रवेश करने के सुविधाजनक समय पर चर्चा की। आमतौर पर भक्त स्नान पूर्णिमा के बाद श्रीमंदिर नहीं जाते हैं। यदि सेवायत न चाहें, तो उस समय कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है। वह अवधि ठीक हो सकती है। हम विचार कर रहे हैं कि रत्न भंडार सूची पर 1978 की रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद, हम गणना के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास आभूषणों की एक तैयार सूची है, लेकिन मैंने अभी तक वह सूची नहीं देखी है। कीमती सामानों की गिनती 1926 में ब्रिटिश राज के दौरान और फिर 1978 में की गई थी। फिर 1982 और 1985 में मामूली सत्यापन किया गया था।
उड़ीसा उच्च न्यायालय के हालिया आदेश के बाद ओडिशा सरकार ने समिति का गठन किया है। न्यायमूर्ति पसायत को 12 सदस्यीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है और प्रख्यात हृदय सर्जन रमाकांत पंडा उपाध्यक्ष हैं। समिति के सदस्यों में इलाहाबाद बैंक के पूर्व सीएमडी बिधुभूषण सामल, चार्टर्ड अकाउंटेंट एके साबत, पुरी गजपति महाराजा दिव्य सिंहदेव के प्रतिनिधि, एएसआई के एक प्रतिनिधि, सेवायतों के प्रतिनिधि और एसजेटीए के उप मुख्य प्रशासक भी शामिल हैं। एसजेटीए के मुख्य प्रशासक पैनल के सदस्य संयोजक हैं।
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