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92 जगहों में कम से कम 1000 स्थानों पर लगी आग
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लगभग 96 प्रतिशत आग बुझा दी गई
भुवनेश्वर। गर्मी की दस्तक के साथ ही ओडिशा के जंगलों में जगह-जगह आग लगनी शुरू हो गई है। अब तक ओडिशा के जंगलों में 92 जगहों में कम से कम 1000 स्थानों पर आग लगने की सूचना है। हालांकि, लगभग 96 प्रतिशत आग बुझा दी गई है। वन विभाग ने बताया कि सभी आग में से 40 प्रतिशत आग फसलों और ठूंठ में लगती है। जंगल की आग के बारे में ओडिशा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) देवीदत्त बिस्वाल ने कहा कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी जंगलों में आग बढ़ेगी। हमने अब तक लगभग 1000 स्थानों पर आग देखी है। उसमें से लगभग 40 प्रतिशत आग जंगल के बाहर भड़की, लेकिन हम हर तरह की आग को नियंत्रित कर रहे हैं। कभी-कभी जंगल के बाहर की आग भी जंगल को अपनी चपेट में ले लेती है।
जागरूकता अभियान के बारे में पूछे जाने पर बिस्वाल ने कहा कि हम उन स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए पारंपरिक तरीका अपना रहे हैं, जो जंगल के पास रहते हैं और आजीविका के लिए इस पर निर्भर हैं। पाला, दसकठिया और घोड़ा नाच के माध्यम से जागरूकता पैदा की जा रही है। हमने लोगों को जंगल की आग के बारे में जागरूक करने और इसे न लगाने के लिए पत्रक भी वितरित किए हैं और साइन बोर्ड भी लगाए हैं।
पूरे ओडिशा में आग की घटनाओं में अचानक वृद्धि के कारण राज्य के जंगलों में वनस्पतियों और जीवों का भारी नुकसान हुआ। जंगल की आग से इमारती लकड़ी, फलदार पेड़ और औषधीय पौधों की हानि होती है। वे वन्य जीवन और उनके आवास के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।
जंगल की आग से जंगलों का पुनर्जनन भी प्रभावित होता है। जिन बीजों को मानसूनी बारिश में अंकुरित होना चाहिए था, वे वन क्षेत्रों में जमीन की आग के कारण जल जाते हैं, जिससे वन विकास प्रभावित होता है।