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राज्य सरकार नौकरी देने से नहीं कर सकती है इनकार
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ओडिशा के उच्च न्यायालय ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
भुवनेश्वर। राज्य के उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि राज्य सरकार अनुकंपा के आधार पर किसी कर्मचारी की विवाहित बेटी को नौकरी देने से इनकार नहीं कर सकती। हाल ही में उड़ीसा उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर किसी कर्मचारी की विवाहित बेटी को नौकरी देने से इनकार करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लगाए गए किसी भी प्रतिबंध की कोई कानूनी वैधता नहीं है।
न्यायमूर्ति एसके पाणिग्राही की एकल-न्यायाधीश पीठ ने सीमारानी पांडव द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अनुकंपा के आधार पर विवाहित बेटी को नौकरी देने से इनकार करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 (2) का उल्लंघन है।
सीमारानी ने अपने पिता के स्थान पर राज्य सरकार की पुनर्वास सहायता योजना के तहत भर्ती के लिए आवेदन किया था। साल 2004 में भद्रक जिले के तिहिड़ी में सीआरएस हाई स्कूल में शारीरिक शिक्षा शिक्षक (पीईटी) के रूप में सेवा करते समय उनकी मृत्यु हो गई थी।
इस दौरान सीमारानी को एक सरकारी परिपत्र के अनुसार नौकरी देने से इनकार कर दिया गया था, जिसमें विवाहित बेटियों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने से रोक दिया गया था। सीमारानी ने साल 2011 में न्याय की मांग करते हुए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। एकल-न्यायाधीश पीठ ने अधिकारियों को याचिकाकर्ता के आवेदन पर उसी दिन से विचार करने का भी निर्देश दिया, जिस दिन इसे संबंधित अधिकारियों द्वारा पहली बार विचार के लिए लिया गया था। अदालत ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा पुनर्वास सहायता योजना के तहत उपयुक्त नौकरी के लिए उसके मामले पर विचार करते समय याचिकाकर्ता की उम्र एक कारक नहीं होगी।
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