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BIG NEWS – पुरी धाम में श्रीमंदिर परिसर में आयोजित होंगे अक्षय तृतीया के अनुष्ठान

  • तीन मई तक चंदनयात्रा समेत सभी नीतियां मंदिर परिसर में होंगी

  • रथयात्रा पर केंद्र और राज्य सरकारें लेंगी निर्णय

  • पुरी शंकराचार्य ने सिफारिश की, गजपति महाराज ने की घोषणा

विष्णुदत्त दास, पुरी0

कोरोना वायरस को लेकर जारी लाकडाउन के बीच रथयात्रा को लेकर संशय के बीच खबर आ रही है कि आज पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती ने सिफारिश की है कि अक्षय तृतीया के अनुष्ठान तथा इस दिन से शुरू होने वाले रथों के निर्माण श्रीमंदिर परिसर में किये जायें.  लाकडाउन के कारण रथों का निर्माण बाहर नहीं हो सकता है. कोरोना को लेकर जारी लाकडाउन में रथयात्रा के निकाले जाने पर संशय के बीच आज शंकराचार्य के नेतृत्व में बैठक हुई.

सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव भी मौजूद थे. इस दौरान उपरोक्त बात की सिफारिश शंकराचार्य ने की. शंकराचार्य से मुलाकात के बाद गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने बताया कि सभी अनुष्ठान मंदिर परिसर के अंदर आयोजित किया जायेगा. अक्षय तृतीया (26 अप्रैल) को रथयात्रा के लिए रथ निर्माण अनुष्ठान की शुरुआत श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर के अंदर होगी. 21 दिनों की चंदन यात्रा समेत सभी नीतियां तीन मई तक मंदिर परिसर में ही आयोजित होंगी.

खबर है कि कल जिलाधिकारी और श्रीमंदिर प्रशासक तथा मंदिर के सेवायतों के बीच बैठक होगी, जिसमें अक्षय तृतीया के आयोजन श्रीमंदिर परिसर में करने को लेकर चर्चा की जायेगी.

महाराज की घोषणा के अनुसार, अक्षय तृतीय से लेकर सभी नीतियां तीन मई तक मंदिर परिसर में आयोजित होंगी क्योंकि इन दिनों लाकडाउन चल रहा है. साथ ही रथयात्रा को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें निर्णय लेंगी. आज की बैठक में श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक डा किशन कुमार, जिलाधिकारी बलवंत सिंह, पुलिस अधीक्षक डा उमाशंकर दास व अन्य उपस्थित थे.

उल्लेखनीय है कि 21 दिनों की चंदनयात्रा भी मंदिर परिसर में आयोजित होगी. तीन मई के बाद केंद्र और राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार आगे की रणनीति तैयार होगी. बताया जाता है कि रथयात्रा में अभी काफी वक्त है. इसलिए इस पर समय आने पर निर्णय लिया जायेगा. साथ ही इस पर निर्णय लेने की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार को दी गयी है. हमारी भावना है कि परंपराओं का पालन करते हुए महाप्रभु की सभी नीतियां पालन की जाये, लेकिन इस पर सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से राज्य और केंद्र सरकार को निर्णय लेना होगा.

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