पुरी। पंचुक चतुर्दशी तिथि या बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर पुरी के श्रीमंदिर में रविवार को भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध लक्ष्मी नृसिंह पोशाक से सजाया गया है। अवकाश नीति के बाद महाप्रभु श्री जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्रा ने पटबास्त्र, विशेष आभूषण और आकर्षक फूलों से बनी मालाएं पहनकर भक्तों को दर्शन दिए। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ ने राजा इंद्रद्युम्न को नृसिंह वेश में दर्शन दिए थे, जब उन्होंने पहली बार ‘दारुदेवता’ को देखा था। उस स्मृति में कार्तिक पंचुका की चतुर्दशी तिथि पर हर साल इन देवों को इस रूप में सजाया जाता है। इस पोशाक में पवित्र त्रिमूर्ति को ‘श्रीभुजा’, ‘श्रीप्यारा’ और अन्य आकर्षक सोने के आभूषणों से सजाया गया है। माना जाता है कि भगवान के इस रूप के दर्शन से भक्तों को अपार कृपा मिलेगी।
शनिवार को ‘पंचुका त्रयोदशी तिथि’ के अवसर पर भगवान को ‘त्रिविक्रम वेश’ से सजाया गया। विशेष पोशाक में देवी-देवताओं के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए थे। इसी तरह, भगवान जगन्नाथ और उनके भाई देवता भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा सोमवार को पंचुका के अंतिम दिन ‘कार्तिक पूर्णिमा’ को सबसे प्रसिद्ध ‘राजराजेश्वर वेश में दर्शन देंगे।
देवताओं के ‘राजराजेश्वर वेश में देखने के लिए पुरी में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। श्रीमंदिर में विशेष पोशाक में देवताओं के सुचारू दर्शन के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था और यातायात प्रबंधन किया गया है।
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