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10 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने रैली निकाल किया विधानसभा का घेराव
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यूनिट-4 से मास्टर कैंटिन तक निकाली विशाल रैली
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राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की
भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपनी ताकत दिखाई तथा कालेजों में छात्र संसद चुनाव ना कराए जाने के साथ 11 सूत्री अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विशाल रैली निकाली और विरोध प्रदर्शन किया। रैली में परिषद के 10 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं की भागीदारी रही। आज सुबह 11.30 बजे के बाद राजधानी स्थित यूनिट-4 से यह रैली निकाली तथा मास्टर कैंटिन तक गई। इस परिषद के सदस्यों ने राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा दावा किया कि बीजद नेतृत्व वाली सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
उच्च शिक्षा की स्थिति अत्यन्त ही दयनीय
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ओडिशा में उच्च शिक्षा की स्थिति अत्यन्त ही दयनीय हो गई है। विश्वविद्यालय में नियुक्त एक अध्यापिका की अनुसंधान फर्जी होने से पीएचडी डिग्री रद्द करने के लिए कुलपति ने जो निर्देश दिया है, इसका स्पष्ट प्रमाण है। कागज-कलम में उच्च शिक्षा का खर्च अनुमान एवं स्कूल की इमारतों पर चूने लगाकर विकास की बात करने वाले लोगों को पता है कि महाविद्यालय को विश्वविद्यालय घोषित कर देने मात्र से समस्या का समाधान नहीं होगा। जब तक गुणात्मक शिक्षा, आवश्यक संसाधन, शैक्षिक माहौल, योग्य अध्यापक के ऊपर ध्यान नहीं दिया जाता है, तब तक राज्य में उच्च शिक्षा का विकास नहीं होगा।
खाली पदों को तुरन्त भरने की मांग
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कालेजों के नाम पर जमीन पंजीकृत करने के साथ ही खाली पड़े अध्यापक-अध्यापिका पदों को तुरन्त भरने की मांग की है। परिषद ने कहा है कि शिक्षा परिसर को सभी प्रकार की हिंसा एवं अपराध से मुक्त किया जाए तथा कालेज शिक्षा में समय से नियुक्ति आधारित प्रशिक्षण पर महत्व दिया जाए। अध्यापकों के वर्गीकरण का समाधान किया जाए।
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राज्य की संशाधन का उपयोग कर शिल्प स्थापित किया जाए और नियुक्त के ऊपर महत्व दिया जाए। नौ-वाणिज्य के क्षेत्र में अतीत में प्रसिद्धि लाभ करने वाले ओडिशा में नौवाणिज्य शिक्षा, जहाज निर्माण कारखाना लगाने, विदेशी निर्यात पर अधिक महत्व दिया जाए। परीक्ष परिणाम प्रकाशन समय किया जाए और सभी प्रकार के फर्जीवाड़ा को बंद किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षानीति 2020 के सफल रुपायन पर ध्यान दिया जाए। कालेज संचालन कमेटियों को राजनीतिक व्यक्ति विशेष को ना देकर शिक्षकों को उसमें सदस्य बनाया जाए। अनुसूचित जाति एवं जनजाति छात्र-छात्राओं को मिलने वाली सहायता राशि समय से मिले इसकी व्यवस्था की जाए। छात्र संसद चुनाव व्यवस्था को पुन: लागू किया जाए।