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श्री जगन्नाथ मंदिर के बाहर खुले आसमान में रात गुजारने को मजबूर
पुरी। पुरीधाम में श्री जगन्नाथ मंदिर के आस-पास से मठों को हटाने के बाद गरीब तीर्थयात्रियों की परेशानियां सामने उभर कर आने लगी है। वे ठंड में खुले आसमान में सोने को मजबूर हैं। श्रीमंदिर हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना को रास्ता देने के लिए पुरी में श्रीमंदिर के पास मठों और लॉज को ध्वस्त कर दिया गया है। ये मठ गरीब तीर्थयात्रियों के लिए एक ईश्वरीय उपहार के रूप में थे, जहां मकर संक्रांति से पूर्व और चारधाम यात्रा पर आने वाले गरीब भक्त शरण लेते थे।
लेकिन इन दिनों अब ये मठ नहीं रहे। इससे आर्थिक तौर पर गरीब भक्तों को अपने बच्चों के साथ सड़क के किनारे या दुकानों के बरामदे में रात बिताते हुए देखना आम बात हो गया है। उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि उनकी जेब के अनुकूल पुरी में होटलों में उनके लिए जगह नहीं है। बताया जाता है कि छोटे और बड़े लगभग 18 मठों को यहां ढाह दिया गया है। कुछ लॉज और सराय का भी यही हश्र हुआ है।
मीडिया को दिए गए एक बयान में एक महिला भक्त ने कहा कि मठों को ध्वस्त कर दिया गया है और हमारे पास होटलों का खर्च उठाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। तो हम खुले में रात बिताने के अलावा क्या करेंगे।
एक अन्य महिला भक्त ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि हम गरीब हैं। हम होटल और लॉज का शुल्क नहीं दे सकते। इसलिए हम इस सड़क के किनारे रातें बिताने के लिए मजबूर हैं। इस बीच कुछ महंतों ने आरोप लगाया कि सरकार मठों की जमीन बेचने की योजना बना रही है।
बड़ा ओड़िया मठ के प्रमुख वंशीधर दास गोस्वामी ने कहा कि उन्होंने पहले ही मठ की जमीन बेचने की योजना तैयार कर ली है। उन्होंने कहा कि पुरी आने वाले लगभग 50 प्रतिशत लोग मठों में निःशुल्क रुकते हैं। इसके अलावा वे एक पाई का भुगतान किए बिना मठों में तैयार किए गए प्रसाद का भी आनंद लेते हैं।
हालांकि, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक रंजन दास ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि मठों को बेचने की ऐसी कोई योजना नहीं है। बल्कि हम मठों को पुनर्जीवित कर रहे हैं। ओडिशा ब्रिज एंड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (ओबीसीसी) ने इसके लिए पहले ही खाका तैयार कर लिया है। कुछ मठों के पुनरुत्थान का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है। अगले साल मई या जून तक काम पूरा करने की समय सीमा तय की गई है। इधर, पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने कहा कि ओबीसीसी की ओर से बसेली साही में एक कम लागत वाली धर्मशाला परियोजना चल रही है। एक बार पूरा होने पर, 4,000 से 5,000 श्रद्धालु वहां रह सकते हैं।