भुवनेश्वर। तेरापंथ धर्म संघ के नवम आचार्य श्री तुलसी का 110वां जन्मोत्सव समारोह तेरापंथ भवन भुवनेश्वर में आचार्य श्री महाश्रमण जी की शुशिष्या समणी निर्देशिका भावितप्रज्ञा जी, समणी सघंप्रज्ञा जी, समणी मुकुल प्रज्ञा जी के सानिध्य में मनाया गया। समारोह में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुख लाल सेठिया की गरिमामय थी। समारोह का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र से हुआ।
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा भुवनेश्वर के अध्यक्ष बच्छराज बेताला ने पूज्य गुरुदेव को भावान्जलि देते हुए कहा कि राजस्थान के कस्बे लाडनू में बालक तुलसी का जन्म आज से 110 वर्ष पूर्व हुआ था। तेरापंथ धर्म संघ के एक साधारण साधु से धर्म संघ के आचार्य तथा गणाधिपति तुलसी तक का सफर तय किया। जीवन भर काम करुंगा, गण का भंडार भरूंगा, इसी बात को चरितार्थ करते हुए अनेक नये अवदान मानव जाति को दिए। इस दौरान सपना बैद ने गीतिका के माध्यम से अपने भाव प्रकट किए। संस्था शिरोमणि श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुख लाल सेठिया ने अपने आराध्य को भावान्जलि देते हुए कहा कि छुआछूत जैसी बुराई पर आचार्य श्री ने प्रहार किया तथा दलितों, वंचितों को गले लगाकर समाज को एक नया मार्ग दिखलाया। जीवन भर अनेक प्रकार के नये-नये अवदान दिये परन्तु कठिनाइयों तथा विरोध का सामना करते सफल जीवन जीया।
समणी मुकुलप्रज्ञा जी ने गीत के माध्यम से अपने भाव प्रकट किए। समणी संघप्रज्ञा जी ने कहा कि आचार्य तुलसी के अवदानों को कम समय में बताना असम्भव है आचार्य तुलसी की जीवन यात्रा के 25 ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं।
समणी निर्देशिका भावित प्रज्ञा जी ने अपने संबोधन में कहा कि आज से 43 वर्ष पहले एक साहसिक कदम उठाते धर्म संघ को समण श्रेणी का नया अवदान दिया। आज तेरापंथ धर्म संघ भारत की सीमा से बाहर अनेक देशों में धर्म संघ के सिद्धांतों को समण श्रेणी के माध्यम से पहुंचा रहा है। अनगिनत अवदान मानव मात्र के कल्याण के लिए लिये दिये।
समारोह का सफल संचालन सभा मंत्री पारस सुराणा ने किया तथा अनेक प्रकार जानकारियां गुरु देव के बारे में दी। इस दौरान समाज की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।