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रंगाहरि जी के निधन पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित
भुवनेश्वर। राष्ट्रीय स्वयंसेसेवक के पूर्व अखिल भारतीय वौद्धिक प्रमुख रंगाहरि जी संघ के विचारों के क्रिया रुप थे। उका जीवन संघ विचार का जीवंत ग्रथ था। प्रज्ञा के असीम भंडार रंगाहरि ने पूरे देश में व देश के बाहर अनगीनत स्वयंसेवकों, कार्यकर्ताओं तथा आम लोगों को प्रभावित किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवाक संघ के अखिल भारतीय सद्भावना सह प्रमुख डा गोपाल प्रसाद महापात्र ने ये बातें कहीं। भुवनेश्वर के मंचेश्वर स्थित उत्कल विपन्न सहायता समिति के परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।
डा महापात्र ने कहा कि वह ज्ञानी, सुवक्ता, लेखक, कुशल संगठन, स्नेही कार्यकर्ता थे। उनके गुणों को अपने जीवन में उतारना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
डा महापात्र ने अवसर पर रंगाहरि के अंतिम चार चिट्ठियों का उल्लेख किया। इन चिट्ठिय़ों में उन्होंने आम व्यक्ति की तरह उनका दाह संस्कार किये जाने के साथ साथ पास के भारती नदी में उनके अस्थियों को विसर्जन करने की बात कही थी। इसके साथ ही उन्होंने यदि जीवन में कुछ गलतियां की हैं तो उन्हें क्षमा करने के लिए सभी को हाथ जोड़ कर माफी मांगी थी। सबसे बड़ी बात यह है कि जीवन के उद्देश्य व कार्य पूर्ण होने के बाद भी उन्होंने मोक्ष की कामना नहीं की है बल्कि पुनर्जन्म लेकर भारत माता की सेवा करनेके लिए भगवान से प्रार्थना की है।