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60 हजार निर्माण श्रमिक अपने अधिकारों से वंचित

  • 14 दिन में सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं कराया गया तो होगा आंदोलन

संबलपुर – संबलपुर जिला के 60 हजार निर्माण श्रमिकों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। निर्माण श्रमिक अपने अधिकारों की मांग पर श्रम कार्यालय से लेकर जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालयों की खाक छान रहे हैं, किन्तु उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है। यदि आने वाले 14 दिनों में निर्माण श्रमिकों को सरकारी सहायता उपलब्ध कराने की दिशा में अपेक्षित पदक्षेप नहीं उठाया गया तो आंदोलन का रवैया अख्तियार किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो विधानसभा का घेराव किया जाएगा। साथ ही संबलपुर स्थित जिला श्रम कार्यालय का कामकाज पूरी तरह बदं करा दिया जाएगा। शुक्रवार की सुबह बिनाखंडी में बुलाए गए प्रेस कांफ्रेंस में संबलपुर जिला निर्माण श्रमिक संघ समन्वय समिति के सदस्यों ने यह जानकारी दी। उपस्थित सदस्यों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने निर्माण श्रमिकों की सहायता हेतु अनेकों प्रभावी योजनाओं को जमीन पर उतारा है, किन्तु उन योजनाओं का सटीक क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। जिसका परिणाम निर्माण श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों को श्रम विभाग के कामों की जानकारी नहीं है, उन्हें विभाग का मंत्री बनाया जा रहा है। ऐसे में वे निर्माण श्रमिकों के दुख दर्द को भला कैसे समझेंगे। आज प्रदेश की ऐसी हालत हो गई है कि किसी भी गरीब का काम नहीं हो पा रहा है। संबलपुर जिला निर्माण श्रमिक समन्वय समिति इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकती। श्रम मंत्रालय एवं प्रदेश सरकार आगामी 14 दिनों के अंदर इस विषय पर कोई फैसला लें, अन्यथा आनेवाले दिनों में आंदोलन का उग्र रूप प्रदान किया जाएगा। समिति के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष प्रशांत कुमार पाढ़ी, बसंत कुमार स्वांई, शशांक शेखर पाल, लक्ष्मीनारायण खिलारी, गोकुल मेहेर, त्रिनाथ रणबिड़ा एवं राजा पाल समेत समिति के अनेकों पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।

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