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ओडिशा के राज्यपाल रघुवर

ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की लिंगराज मंदिर में पूजा कराने को लेकर विवाद

  • ओडिशा के राज्यपाल रघुवर के लिए पूजा कराने के अधिकार किसके पास, दो सेवायत हुए आमने-सामने

  • बडू नियोग को भगवान लिंगराज को भोग चढ़ाने का अधिकार नहीं – ब्राह्मण नियोग

ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने शपथ ग्रहण करने से पूर्व आज सुबह लिंगराज में जाकर पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान पूजा अर्चना कराने को लेकर लिंगराज मंदिर के दो सेवायतों में विवाद हो गया है। दोनों सेवायत आमने-सामने आ गए हैं। बताया जाता है कि भगवान लिंगराज की पूजा को लेकर ब्राह्मण नियोग और बड़ू नियोग के बीच विवाद के कारण मंगलवार को शपथ ग्रहण समारोह से कुछ घंटे पहले राज्यपाल रघुवर दास की लिंगराज मंदिर की यात्रा प्रभावित हुई थी।

हेमन्त कुमार तिवारी, इण्डो एशियन टाइम्स, भुवनेश्वर।

खबरों के अनुसार, बडू नियोग के सेवायतों ने ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास और उनके परिवार को मंदिर दिखाया, पूजा कराई और भगवान लिंगराज के दर्शन का लाभ उठाने में सहयोग किया। इस पर ब्राह्मण नियोग ने सवाल उठाया है।

राज्यपाल को गुमराह किया गया

मीडिया को दिए गए बयान में ब्राह्मण निजोग के सचिव बिरंची नारायण पति ने कहा है कि लिंगराज मंदिर में राज्यपाल को गुमराह किया गया है। बडू नियोग को भगवान लिंगराज को भोग चढ़ाने का अधिकार नहीं है। केवल भगवान को जल और सूखा भोग चढ़ाना ही उचित पूजा नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल ब्राह्मण नियोग सेवायतों को ही लिंगराज मंदिर में पूजा करने का अधिकार है। अन्य लोग भगवान को फूल और जल चढ़ा सकते हैं, लेकिन उसे पूजा नहीं माना जा सकता। राज्यपाल को मंदिर के रीति-रिवाजों की जानकारी नहीं है। इसलिए बडू सेवायतों ने उसे यह विश्वास दिलाकर गुमराह किया कि उसने वास्तव में मंदिर में पूजा की थी। लेकिन यह तथ्य नहीं है।

बडू सेवायत हैं गैर-ब्राह्मण

पूजा पंडा नियोग के सचिव सच्ची कांत पूजा पंडा ने मीडियो के दिए गए बयान में कहा है कि बडू सेवायत गैर-ब्राह्मण हैं। इसलिए उन्हें मंदिर में पूजा करने का कोई अधिकार नहीं है। प्रशासन ने उन्हें केवल मंदिर में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने और भक्तों को दर्शन का लाभ उठाने में मदद करने की अनुमति दी है। 1910 के एक फैसले के अनुसार, केवल पूजा पंडा सेवायत ही भगवान को भोग लगा सकते हैं। यदि बडू सेवायतों ने आज भोग लगाया है तो यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है।

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बडू नियोग ने आरोपों का खंडन किया

हालांकि, बडू नियोग ने आरोपों का खंडन किया है। ब्राह्मण नियोग के सवालों का उत्तर देते हुए बडू सेवायत कृष्ण चंद्र बडू ने कहा कि मंदिर में हमारा कर्तव्य भक्तों की ओर से भगवान को फूल और बेल के पत्ते चढ़ाना है। महासुआर सेवायत प्रसाद तैयार करते हैं और इसे मंदिर के अंदर रखते हैं। जब प्रसाद मंदिर में प्रवेश करता है तो पूजा पंडाल नियोग पूजा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल को मंदिर दिखाया और उन्हें भगवान लिंगराज के दर्शन कराने में मदद की। हमने राज्यपाल की ओर से भगवान को नारियल भोग सहित फूल और सूखा भोग अर्पित किया। वह दर्शन से प्रसन्न हुए और खुश होकर चले गए।

ब्राह्मण और पूजा पंडा नियोग के सेवायत नहीं थे

बडू सेवायत कृष्ण चंद्र बडू ने कहा कि ब्राह्मण नियोग और पूजा पंडा नियोग के सेवायत आज राज्यपाल रघुवर दास की यात्रा के दौरान मंदिर से अनुपस्थित थे, क्योंकि उन्होंने शुक्रवार को विवाद के बाद मंदिर ट्रस्ट बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है।

उल्लेखनीय है कि सेवायतों के तीन समूह बडू नियोग, पूजा पंडा नियोग और ब्राह्मण नियोग मंदिर क्षेत्र में भगवान लिंगराज से संबंधित भूमि के कथित अतिक्रमण को लेकर विवाद में फंसे हुए हैं। इससे 11वीं शताब्दी के मंदिर में दैनिक अनुष्ठानों में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है।

 

 

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